भारत सरकार द्वारा देश के अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की जमीन सुरक्षित रखने के लिए कुछ नियम बनाए गए है. इस नियम के अनुसार किसी भी SC / ST या हरिजन की जमीन बेचने या खरीदने के लिए निर्धारित प्रक्रिया को फॉलो करना महत्वपूर्ण है.
इसके अलावे, अनुसूचित जाति की जमीन किसी व्यक्ति को बिक्री, उपहार, गिरवी या पट्टे के रूप में हस्तांतरित करने के सम्बन्ध में उच्च पद के अधिकारीयों से अनुमति लेना पड़ता है. हालांकि, राज्य लोगो के सुविधा अनुसार इस नियम में बदलाव कर रही है. जैसे यूपी सरकार ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की जमीन खरीदने या बेचने के सम्बन्ध में नियमों में बदलाव कर दिया है. इसके बाद एससी/एसटी (SC/ST) की जमीन खरीदने से पहले जिले के डीएम (DM) की अनुमति नहीं लेनी पड़ेगी.
SC / ST या हरिजन की जमीन खरीदने की नियम
- भूमि सुधार अधिनियम की धारा 157ए के तहत SC / ST या हरिजन की जमीन निम्न तथ्यों के बाद खरीद सकते है.
- हरिजन जमीन खरीदने से पहले आवश्यक अधिकारियों से अनुमति लेनी होगी.
- जमीन की खरीद के लिए एक आवेदन और अपील लिखनी होगी.
- दस्तावेजों की एक प्रति जमा करनी होगी जैसे कि आईडी प्रूफ, आय का प्रमाण आदि.
- आपके दस्तावेज़ों का सत्यापन अधिकारीयों द्वारा किया जाएगा.
- SC / ST या हरिजन की जमीन कोई भी कंपनी नही खरीद सकती है.
- यदि जरुरत के अनुसार कंपनी को जमीन लेना है, तो उन्हें पहले कोर्ट से परमिशन लेना होगा.
Note: यह नियम अब सभी जगह लागू नही है. क्योंकि, सरकार इसमें बदलाव करती रहती है. इसलिए, पहले अधिकारिक जानकारी प्राप्त करे, उसके बाद ही कोई एक्शन ले.
SC / ST हरिजन की जमीन कैसे ख़रीदे
भारत में किसी SC / ST की जमीन खरीदने के लिए पहले कोर्ट द्वारा निर्धारित प्रक्रिया को फॉलो कर करना अनिवार्य है. यदि कोई व्यक्ति नियम के विरुद्ध किसी हरिजन की जमीन खरीदता है, तो उन्हें जेल होने के साथ उनका पैसा भी वापस नही मिलेगा.
हरिजन की जमीन खरीदने से पहले आपको आवश्यक अधिकारियों से अनुमति लेनी होगी. जमीन खरीदने के लिए आपको एक आवेदन पत्र और अपील लिखनी होगी. इसके साथ आपको सभी आवश्यक दस्तावेजों की एक फोटो कॉपी जमा करनी होगी जैसे कि आईडी प्रूफ, आय का प्रमाण आदि. अनुमति मिलने के बाद ही हरिजन जमीन खरीद पाएँगे. आइए इसकी प्रक्रिया विस्तार से निचे देखते है:
SC / ST यानि हरिजन की जमीन की सहमती एवं कीमत तय करे
देख के किसी भी कोने में SC / ST या हरिजन की जमीन खरीदने के लिए पहले उनसे जमीन बेचने के सम्बन्ध सहमती प्राप्त करे. जब उनका सहमती प्राप्त हो जाए, उसके बाद ही आगे के प्रोसेस को शुरू करे.
इसके बाद उस जमीन के सम्बन्ध में कीमत पता करे. ध्यान दे, जमीन खरीदने हेतु अनुमति लेते समय जमीन के कीमत के बारे में पूछा जा सकता है.
आवश्यक डॉक्यूमेंट तैयार करें
SC / ST या हरिजन की जमीन खरीदने के लिए निम्नलिखित दस्तावेज तैयार अवश्य करे.
- आधार कार्ड
- पासपोर्ट साइज की 4 रंगीन फोटो
- ईमेल आईडी
- फोन नंबर
- पहचान पत्र
- मूल निवास सर्टिफिकेट
- जाति प्रमाण पत्र
- वोटर आईडी कार्ड
- पैन कार्ड
जिलाधिकारी से परमिशन प्राप्त करे
नियम के अनुसार यदि कोई सामान्य समुदाय का व्यक्ति SC / ST या हरिजन समुदाय के व्यक्ति की जमीन खरीदना चाहते है, तो उसे जिलाधिकारी से परमिशन लेनी होगी. वही SC / ST या हरिजन व्यक्ति अपने समुदाय में बिना किसी अनुमति के जमीन खरीद सकते है.
जमीन बेचने और खरीदने वाला व्यक्ति जिलाधिकारी के पास एक आवेदन पत्र जमा करते है, जिसमे लिखा हो है कि वे अपनी मर्जी से जमीन बेच रहे है. यदि जिलाधिकारी द्वारा उस एप्लीकेशन फॉर्म पर मुहर लगा दिया जाता है, तो वे जमीन को बेच सकते है.
रजिस्ट्री कार्यालय से जमीन अपने नाम कराए
जमीन रजिस्ट्री कार्यालय में ₹100 के स्टांप पेपर बनवाए और जमीन बेचने वाले और जमीन खरीदने वाले दोनों व्यक्ति की सिग्नेचर कराए. रजिस्ट्री पेपर बनने के बाद रजिस्ट्रार के कार्यालय में पेश उसे पेश करे. इसके दौरान आपको एक टोकन नंबर दिया जाएगा, जिसमे आपका नंबर होगा कि आप कितने नंबर के बाद जाएँगे.
सब रजिस्ट्रार द्वारा जमीन बेचने या खरीदने से सम्बंधित कुछ सवाल पूछे जायेंगे. जैसे क्या आप जमीन बेच रहे है, क्या आप जमीन खरीद रहे है. क्या आपको जमीन का पैसा मिला है? आदि. सभी जानकारी बताने के बाद दोनों व्यक्ति से हस्ताक्षर करा कर रजिस्ट्री कर दी जाएगी.
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पूछे जाने वाले प्रश्न: FAQs
हाँ, हरिजन की जमीन जिलाधिकारी से अनुमति लेने के बाद खरीदी जा सकती है.
हाँ, धारा 42 (एससी, एसटी एक्ट) के अनुसार डीएम या कलेक्टर से अनुमति प्राप्त कर अनुसूचित जाति की भूमि खरीद सकते है.
आदिवासी की जमीन की रजिस्ट्री कराने के लिए पहले दोनों पक्षों द्वारा एक आवेदन पत्र जिलाधिकारी के पास जमा किया जाता है. उस आवेदन की जांच डीसीएलआर समेत अन्य सक्षम पदाधिकारी की जाती है. सभी जानकारी उचित पाए जाने के बाद अनुमति मिलती है. उसके बाद आदिवासी की जमीन की रजिस्ट्री होती है.
हाँ, जमीन खरीद सकते है. लेकिन संविधान के सेक्शन 42 के एक प्रावधान के तहत एससी और एसटी समुदाय की ज़मीनें खरीदने के लिए जिले के अधिकारी dm की अनुमति प्राप्त करनी होगी.
सीएनटी एक्ट के अनुसार आदिवासियों की जमीन कोई गैर आदिवासी नहीं ले सकता है. लेकिन गैर आदिवासियों की जमीन लीज पर ले सकते है. जमीन लीज की अधिकतम अवधि चार साल 11 माह तक का होता है. इसके बाद वे अपना जमीन पुनः ले सकते है.
एससी की जमीन का दाखिल ख़ारिज कराने के लिए यह पता करना होगा कि वह संपत्ति किस तहसील के अंदर आती है. इसके बाद उस तहसील में दाखिल ख़ारिज कराने के लिए पहले आवेदन करना होता है. उसके बाद SC की जमीन का दाखिल खारिज होता है.
पहले नियम के अनुसार एससी/एसटी लैंड एक्ट के अनुसार, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति की जमीन को एससी/एसटी वर्ग का व्यक्ति ही खरीद सकता था. लेकिन अन्य वर्गों को जमीन खरीदने के लिए जिलाधिकारी की अनुमति लेनी पड़ती थी. लेकिन अब यूपी सरकार ने इस नियम में संशोधन कर दिया है. अब अन्य वर्ग के व्यक्ति भी बिना डीएम की अनुमति के एससी/एसटी की जमीन खरीद सकते है.