वसीयत पिता द्वारा कमाई हुई पुंजी को सभी पुत्र व पुत्री को समान अधिकार में बाटने की नियम होती है. वसीयत चाहे व्यक्तिगत रूप में पंजीकृत हो या अपंजीकृत क़ानूनी नियम से वह वैध माना जाता है. वसीयत समय पर निर्भर नहीं रहता है, यह कभी भी प्रभावी हो सकता है. वसीयत आधिकार प्राप्त करने के लिए नियमित तौर पर 12 साल तक वैध रहता है.
मृत्यु के बाद क़ानूनी नियम के तौर तरीकों से हस्ताक्षरित वसीयत तैयार किया जाता है. वसीयत नियमित रूप से यह तय करने की अनुमति देता है की मृत्यु के बाद आपकी संपत्ति का विभाजन कैसे किया जाये. नियम के अनुसार जिसका भी नाम वसीयत में है, उसे कानूनी प्रक्रिया द्वारा उनका हक़ प्रदान किया जाता है. इसके सन्दर्भ में कुछ और भी नियम एवं कानून निर्धारित किए गए, जो निचे उपलब्ध है.
वसीयत के नियम और कानून क्या है?
वसीयत एक महत्वपूर्ण क़ानूनी दस्तावेज है जो व्यक्ति के मृत्यु के बाद कुल संपत्ति का विभाजन सामान अधिकार में अपने उतराधिकारी के बिच करने का अनुमति प्रदान करता है.
वसीयतकर्ता किसी भी व्यक्ति का नाम वसीयत में लिख सकता है. वसीयत लिखित करने से यह सुनिश्चित होता है की उसकी मृत्यु होने के बाद वसीयतकर्ता के अनुसार चुने गए व्यक्ति के नाम वसीयत क़ानूनी नियम के तहत रजिस्ट्री कर दी जाए.
वसीयत के नियम और कानून
- महान भारत देश में वसीयत के नियम 1925 के तहत लागु किया गया है.
- वसीयतकर्ता द्वारा लिखित रूप में वसीयत लिखना चाहिए.
- वसीयत के सभी विवरण को वसीयतकर्ता द्वारा हस्ताक्षरित होना चाहिए.
- वसीयत लिखते समय साबुत के तौर पर दो गवाहों का होना आवश्यक है.
- गवाहों द्वारा अपनी पहचान के लिए नाम घर सभी विवरण को लिखित वसीयत में दर्ज करनी चाहिए.
- वसीयत को सार्वजनिक रजिस्टर में कराना अति आवश्यक होता है क्यूँकि सार्वजनिक रजिस्ट्री नहीं करने पर वसीयत रद कर दी जाती है.
- वसीयतकर्ता मानसिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए और 18 वर्ष से आधिक होना आवश्यक है.
- वसीयतकर्ता वसीयत लिखते समय स्वेच्छा अनुसार अपनी इच्छा प्रकट कर सकता है.
- वसीयत के संपत्ति में गवाह सामिल नहीं हो सकते है.
- वसीयत को किसी भी समय रद्द किया जा सकता यह भी क़ानूनी प्रक्रिया है.
- कोई भी व्यक्ति वसीयत लिखता है तो क़ानूनी नियम के तहत वसीयत मान्य है या नहीं यह पता करने के लिए किसी अच्छे वकील की सलाह ले सकते है.
वसीयत को नियंत्रित करने वाले नियम
वसीयत द्वारा संपत्ति के हस्तांतरण को नियंत्रित करने वाले कानून इस प्रकार है:
- भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925
- नागरिक प्रक्रिया संहिता, 1908
- भारतीय पंजीकरण अधिनियम, 1908
- भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899
इन्ही नियम एवं कानूनों के आधार पर वसीयत की संपत्ति का विभाजन किया जाता है. वसीयत के नियम और कानून, किसी भी प्रॉपर्टी को हस्तांतरण करने में पारदर्शिता प्रदान करता है, जिसके बारे में जानना सभी के लिए आवश्यक है.
वसीयत लिखा कैसे जाता है
STEP 1. वसियात लिखने के लिए व्यक्ति को लिखित रूप से वसीयत तैयार करना होता है जिसके लिए पहत्वपूर्ण जानकारी देना आवश्यकत होता है.
- वसीयतकर्ता का नाम व पता संपूर्ण विवरण का वरण वसीयत में लिखा जाना चाहिए
- वसीयत में लिखित रूप से व्यक्ति के मृत्यु के बाद कुल संपत्ति का वितरण
- वसीयत में लिखित रूप से उतराधिकारी कर्यनकर्ता क़ानूनी निर्देश आदि
STEP 2. वसीयतकर्ता की पहचान और वसीयतकर्ता की सहमती के लिए वसीयत लिखित में दो गवाहों का हस्ताक्षर साबुत के तौर पर विवरण करनी चाहिए
STEP 3. वसीयत तैयार करने के लिए किसी अच्छे वकील की सलाह लेनी चाहिए, जो यह सुनिश्चित करता है की वसीयत क़ानूनी नियम के तहत मान्य है या नहीं.
STEP 4. वसीयत लिखते समय संपत्ति के उतराधिकारी कर्ता/धर्ता का चयन करें जो आपके संपत्ति का अगला अधिकारी होगा आपकी मृत्यु के बाद कुल संपत्ति का स्वामी होगा, कर्यनकर्ता वह व्यक्ति होता है जो वसीयत को लागु करता है.
STEP 5. संपूर्ण संपत्ति का सूचि तैयार करें. जैसे आपकी बचत, और आपके निवेश, घर, कार, आदि प्रकार सामिल होना अनिवार्य है.
STEP 6. स्वेच्छा अनुसार संपत्ति कितनी भागो में बाटनी है कन्फ़र्म करें कुल संपत्ति को उतराधिकारी के नाम एक साथ बाट सकते है. स्वेच्छा अनुसार कई लोगो में विभक्त कर सकते है अपनी कुल संपत्ति को धर्म कार्य या शिक्षा आदि का वरण उपरोक्त लिखित वसीयत में होना चाहीये.
STEP 7. वसीयत लिखित करने से पहले स्वैच्छा बताना महत्वपूर्ण होता है उसका वरण सावधानीपूर्वक करें.
STEP 8. वसीयत लिखते समय पहचान के लिए दो गवाहों का हस्ताक्षर कराएँ पहचान के लिए घर नाम व अपनी पूरी पहचान वसीयत में लिखना चाहिए.
STEP 9. अपनी वसीयत को किसी सुरक्षित स्थान पर रख कर किसी सगे सम्बन्धी से बता दें क्यूँकि आपकी मृत्यु के बाद वसीयत का पता लगाया जा सके.
STEP 10. बदलते समय के अनुसार अपने वसीयत को पीड़ी दर पीड़ी बदलते रहना चाहिए.
STEP 11. किसी भी सगे सम्बन्धी को अपनी स्वेच्छा बताएँ जिससे आपकी सोच से सगे सम्बन्धी अवगत हो.
वसीयत का लाभ क्या है
- वसीयत किसी भी परिवारिक झगड़े जैसे विवादों से बचने में क़ानूनी नियम के तहत मदद करता है.
- लिखित वसीयत उनके स्वेच्छा के अनुसार चुने व्यक्ति के पास रहता है जिससे क़ानूनी झगड़े को निपटाया जा सकता है.
- संपत्ति के वितरण में किसी प्रकार की कोई समस्या होती है तो वसीयत उतराधिकारी क़ानूनी सहायता ले सकता है.
- समय अनुसार कोई परेशानी होती है, तो वसीयतकर्ता द्वारा चुना गया व्यक्ति एक्शन ले सकता है. जिसका विवरण वसीयत के नियम और कानून में किया गया होता है.
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क़ानूनी वसीयत सम्बंधित प्रश्न: FAQs.
वसीयत को क़ानूनी नियम के तहत कार्यालय द्वारा पहचान दिया जाता है जो एक दाखिल ख़ारिज के समान ही अधिकार रखता है. वसीयत परिवार के मुख्य सदस्य के द्वारा लिखा जाता है उसके अनुसार चुने गए उतराधिकारी ही संपत्ति का आधिकारी होता है.
फर्जी वसीयत वह होती है जिसमे व्यक्ति के स्वेच्छा के अनुसार ही वसीयत तैयार की जाती है और संपत्ति को गैर तरीकों से हडपने की कोशिश की जाती है. जैसे व्यक्ति के मृत्यु के बाद अपने से फर्जी वसीयत तैयार कर संपत्ति हडपने की कोशिश की जाती है.
हाँ, पैतृक संपत्ति की वसीयत की जा सकती है परिवार के मुखिया मानसिक रूप से स्वस्थ होने के बाद वसीयत लिखते है, तो वसीयत मान्य होती है. वसीयत नहीं लिखी गई है, तो क़ानूनी नियम के तहत आधिकार अधिनियम का शहारा ले सकते है.
वसीयत जीवित व्यक्ति ही समय अनुसार लिखता है और किसी अच्छे जगह या वकील के पास रखता है. व्यक्ति की मृत्यु होने के बाद चुने गए उतराधिकारी ही संपत्ति का वारिस बन जाते है.
वसीयत का सबसे अच्छा रूप अपने अनुसार लिखित सरल वसीयत को माना जाता है. साधारण वसीयत में व्यक्ति द्वारा स्वेच्छा अनुसार चुने गए व्यक्ति उतराधिकारी होता है. वसीयत में सम्पति की सभी रूप रेखा तैयार किया जाता है. जिसका विवरण वसीयत के नियम और कानून में अंकित होता है.