पावर ऑफ अटॉर्नी की समय सीमा क्या होती है, जाने पूरी जानकारी

पावर ऑफ अटॉर्नी एक ऐसी प्रकिया है. जिसका उपयोग एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को अपनी प्रॉपर्टी को मैनेज करने के लिए करता है. पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी के मदद से अपने प्रॉपर्टी को किसी दुसरे व्यक्ति को बेच लिए अधिकार दे सकते है. जिससे वह व्यक्ति आपके जगह अदालत में जाने, खरीदारों से बातचीत आदि जैसे विशेष कार्य को कर सके.

लेकिन अधिकांस लोगो को पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी के बारे में जानकरी नही है. की पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी क्या है, इसका उपयोग कैसे करे, इसकी टाइम अवधि कितना होती है. इसलिए इस पोस्ट में पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी के बारे में पूरी जानकारी दिया गया है. जिसके मदद से आसानी पॉवर के बारे में पूरी जानकरी प्राप्त कर सकते है. और पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी का उपोयोग कर सकते है.

पावर ऑफ अटॉर्नी की अवधि कितनी होती है

भारतीय कानून के अनुसार पावर ऑफ अटॉर्नी की समय सीमा निर्धारति नही होती है. इस दस्तावेज को कितने भी समय के लिए बनाया जा सकता है. लेकिन पावर ऑफ अटॉर्नी को एक निश्चित समय अवधि के लिए बनाया जा सकता है. जैसे एक वर्ष, दो वर्ष आदि.

पावर ऑफ़ अटॉर्नी बनाते समय अवधि दर्ज कर सकते है. यदि पावर ऑफ़ अटॉर्नी को बनाते समय आपने कोई समय सीमा नही दर्ज किया है. तो उसका अवधि तब तक रहता है जब तक प्रिंसिपल जीवित रहते है. या जब तक इस दस्तावेज को अनुदाता यानि जो व्यक्ति इस दस्तावेज को आपके नाम जारी किया वह रद्द न कर दे.

अर्थात, Power of Attorney जीवन भर के लिए वैध होती है. पावर ऑफ अटॉर्नी बनाने वाले व्यक्ति की मृत्यु तक रहती है.

पावर ऑफ अटॉर्नी की सम्पति कैसी होती है

पावर ऑफ अटॉर्नी की सम्पत्ति निम्नलिखित प्रकार की हो सकती है: यदि गारंटर अपने सम्पति का अधिकार एजेंट यानि पावर ऑफ अटॉर्नी को दे देता है तो उस व्यक्ति के नाम पर पावर ऑफ अटॉर्नी सभी कार्य को कर सकता है. जैसे बैंक से पैसा निकाल, टैक्स भरना, इन्वेस्टमेंट करना, संपत्ति खरीदना या बेचना, अदालत में चल रहे मामलों आदि का प्रतिनिधित्व कराना.

Note: पावर ऑफ अटॉर्नी जारी करते समय, यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह व्यक्ति को बहुत अधिक अधिकार प्रदान न करे. जो जरुरी है उन्ही अधिकारों को लागु करे अन्यथा वह व्यक्ति इस अधिकार का दुरुपयोग भी कर सकता है.

पावर ऑफ अटॉर्नी के नियम

भारतीय कानून के अनुसार पावर ऑफ अटॉर्नी के निम्नलिखित नियम है. जो इस प्रकार है:

  • पावर ऑफ अटॉर्नी बनांते समय गारंटर को उस व्यक्ति के प्रति सक्षम होना चाहिए.
  • पावर ऑफ अटॉर्नी निम्नलिखित रूप से लिखित रूप में होना चाहिए.
  • पावर ऑफ अटॉर्नी को किसी भी भाषा में लिखा जा सकता है.
  • पावर ऑफ अटॉर्नी में प्रदाता और प्राप्तकर्ता के हस्ताक्षर होने चाहिए.

Note: अर्थात प्रदाता वह व्यक्ति है जो अपने प्रॉपर्टी का अधिकार किस दुसरे व्यक्ति को दे रहा है. और प्राप्तकर्ता वह व्यक्ति है जो प्रॉपर्टी का अधिकार प्राप्त कर रहा है.

  • पावर ऑफ अटॉर्नी प्रदाता की मृत्यु तक वैध होती है.
  • पावर ऑफ अटॉर्नी एक निश्चित समय अवधि के लिए भी होती है.

पावर ऑफ अटॉर्नी से रजिस्ट्री हो सकती है क्या?

पावर ऑफ अटॉर्नी एक कानूनी दस्तावेज है. जिसके अनुसार एक व्यक्ति दुसरे व्यक्ति को कार्य करने का अधिकार देता है. जिसके माध्यम से प्राप्तकर्ता प्रॉपर्टी को खरीद या बेच सकता है. यदि कोई व्यक्ति पावर ऑफ अटॉर्नी का उपयोग कर किसी अन्य व्यक्ति के प्रॉपर्टी को बेचता है. उस समय प्राप्तकर्ता को हस्ताक्षर करना होगा. इसके बाद प्रॉपर्टी का हस्ताक्षर करा सकता है.

क्या पावर ऑफ अटॉर्नी भारत में मृत्यु के बाद वैध है

भारतीय कानून के अनुसार पावर ऑफ अटॉर्नी की वैधता ख़तम हो जाती है. यदि प्रदाता प्राप्तकर्ता को कुछ जरुरी कार्य करने का अधिकार प्रदान करता है. और जब प्रदाता की मृत्यु हो जाती है, तो इसकी बैधता समाप्त हो जाती है.

इसलिए, यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद पावर ऑफ अटॉर्नी की शर्तों को पूरा करने के लिए कोई कार्रवाई की जाएगी. तो उस समय कार्रवाई अवैध मानी जाएगी.

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न: FAQs

Q. पावर ऑफ अटॉर्नी की अवधि कितनी होती है?

पावर ऑफ अटॉर्नी की अवधि जीवन भर के लिए होता है. लेकिन प्रदाता प्राप्तकर्ता को पाने प्रॉपर्टी का अधिकार एक निश्चित समय के लिए अधिकार देता है तो, उस समय के बाद पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी की वैधता समाप्त हो जाती है.

Q. पावर ऑफ अटॉर्नी भारत में कब तक वैध है?

भारतीय कानून के अनुसार पावर ऑफ अटॉर्नी की वैधता जीवन भर के लिए होता है. लेकिन मालिक उसे भी रद्द करा सकता है.

Q. पावर ऑफ अटॉर्नी को कैसे बंद करें?

पावर ऑफ अटॉर्नी को बंद करने के लिए प्रिंसिपल को एक आवेदन पत्र लिख कर कोट में जमा करना होता है इसके पश्चात पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी को बंद कर दिया जाता है.

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