भारत में कोई भी व्यक्ति अपने संपत्ति का वसीयत बना सकते है. इस विसियत में वह सुनिश्चित कर सकते है कि उनके बाद संपत्ति किसको मिलेगी. ध्यान दे, वसीयत बनाने वाले व्यक्ति के मृत्यु के बाद ही वारिसो यानि उत्तराधिकारियों में प्रॉपर्टी ट्रान्सफर होता है. वसीयत के माध्यम से संपत्ति का हस्तांतरण एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसे फॉलो करना सभी के लिए अनिवार्य है.
लेकिन बहुत से लोगो को वसीयत के आधार पर नामांतरण की कानूनी प्रक्रिया के बारे में पता नही है. इसलिए, आज के इस पोस्ट में हमने वसीयत के आधार पर नामांतरण नियम के बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध किया है. यदि आप भी किसी वसीयत के वारिस है, तो निचे दिए गए नियम के अनुसार वसीयत के आधार पर नामांतरण कर सकते है. इसके अलावे, क्या क्या दस्तावेज चाहिए, उसकी भी जानकारी उपलब्ध है.
वसीयत के आधार पर नामांतरण की कानूनी प्रक्रिया क्या है?
जैसे की आपको पता है कि वसीयत के आधार पर नामांतरण एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसमे कई स्टेप्स शामिल होते है. साथ ही इसका नियम यह राज्य के अनुसार अलग-अलग भी हो सकता है. आइए नामांतरण की प्रक्रिया देखते है.
- सबसे पहले वसीयत को वेरीफाई कराना होगा. अर्थात, जिस व्यक्ति द्वारा वसीयत बनाया गया है, उस व्यक्ति की और वसीयत को चेक कर यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वसीयत कानूनी रूप से सही है या नही.
- यदि वसीयत वैध है, तो दो गवाहों के साथ राजस्व न्यायालय में तहसीलदार के सामने वसीयत को पंजीकृत करवाना होगा.
- तहसीलदार द्वारा वसीयत में शामिल वारिसों की जाँच की जाएगी. जाँच के अनुसार यदि मृत व्यक्ति द्वारा बनाए गए वसीयत से किसी भी वारिस को आपत्ति नहीं होती है, तो राजस्व न्यायालय द्वारा नामांतरण कि प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी.
- इसके बाद वसीयत के अनुसार वारिसो तथा गवाहों का प्रमाण पत्र माँगा जाएगा, जिसे जमा करना अनिवार्य होगा. जिसमे निम्न प्रकार के दस्तावेज शामिल हो सकते है.
- वसीयत की कॉपी
- वसीयत की रजिस्ट्रेशन कॉपी
- मृत्यु प्रमाण पत्र
- संपत्ति से संबंधित दस्तावेज (जैसे रजिस्ट्री की कॉपी, टैक्स रसीदें आदि.)
- वारिसों की पहचान पत्र
- शुल्क पेमेंट की रसीद
- Note: यदि वसीयत के अनुसार वारिसो के डाक्यूमेंट्स एवं रिपोर्ट में कोई प्रॉब्लम होती है, तो राजस्व न्यायालय उस वसीयत के आधार पर नामांतरण प्रक्रिया रोक सकती है.
- जिस किसी भी व्यक्ति को वसीयत के विल से कोई परेशानी है, तो वे वसीयत को न्यायालय में चैलेंज कर अपना प्रूफ रख सकते है.
- राजस्व न्यायालय उसकी जाँच करेगी और नामांतरण की प्रक्रिया पूरी करेगी.
वसीयत के आधार पर नामांतरण कैसे होता है
- सबसे पहले वसीयत की जाँच कार्यालय द्वारा किया जाता है. वसीयत सही होने पर उसे पंजीकृत किया जाता है.
- नामांतरण के लिए सभी आवश्यक डाक्यूमेंट्स जैसे मूल वसीयत और उसकी पंजीकृत प्रति, मृतक का मृत्यु प्रमाण पत्र, संपत्ति से संबंधित दस्तावेज आदि इकत्र करे.
- वसीयत के आधार पर नामांतरण हेतु आवेदन के लिए तहसील कार्यालय में जाएं.
- आवश्यक डाक्यूमेंट्स वहां से प्राप्त कर वसीयत और अन्य आवश्यक दस्तावेजों के साथ संलग्न करें.
- कार्यालय में लगने वाले सभी शुल्क का भुगतान करे. तथा आवेदन जमा कर उसका रसीद प्राप्त करे.
- कार्यालय द्वारा आपकी दस्तावेजों की जांच की जाएगी और यदि सब कुछ ठीक पाया जाता है, तो संपत्ति का मूल्यांकन होगा. इस स्थिति में आपको स्टाम्प शुल्क और अन्य शुल्क का भुगतान करना होगा.
- इसके बाद वसीयत के आधार पर नामांतरण कर दिया जाएगा, और आपको संपत्ति का मालिकाना पेपर दे दिया जाएगा.
वसीयत के आधार पर नामांतरण नियम
- भारत में वसीयत के नियम के अनुसार वसीयत लिखने वाले व्यक्ति को वयस्क, मानसिक रूप से स्वस्थ और संपत्ति का निपटान करने के लिए सक्षम होना चाहिए.
- वसीयत में संपत्ति के हस्तांतरण के बारे में स्पष्ट प्रावधान होने चाहिए.
- वसीयत में स्पष्ट रूप से लिखा होना चाहिए कि संपत्ति किसको और किस अनुपात में दी जानी है. इससे नामांतरण में परेशानी नही आती है.
- वसीयत को वेरीफाई होने के लिए कम से कम दो गवाहों हस्ताक्षर वसीयत पर होने चाहिए.
- वसीयत तैयार होने के बाद उसे सम्बंधित विभाग से पंजीकृत होना चाहिए.
- ध्यान दे, यदि वसीयत में एक से अधिक वारिस हैं, तो वसीयत के अनुसार उनके बिच एक सामान रूप से संपत्ति बांटी जाएगी.
- यदि कोई वारिस नाबालिग यानि 18 वर्ष से कम आयु का है, तो उनके लिए एक अभिभावक नियुक्त किया जाएगा जो उनकी ओर से नामांकन प्रक्रिया को पूरा करने में मदद करेगा.
शरांश:
वसीयत के अनुसार नामांतरण एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसमे कई भाग शामिल होते है. जैसे नियम, नामांतरण प्रक्रिया आदि. इस पोस्ट में सभी पहलुयों पर पूरी जानकारी प्रदान की है, जो आपको वसीयत नामांतरण को समझने में मदद करेगी. यदि अभी भी आपको कोई संदेह है, तो आप हमें कमेंट कर अपना प्रश्न पूछ सकते है.
FAQs – वसीयत के आधार पर नामांतरण
वसीयत के आधार पर नामांतरण करने के लिए पहले वसीयत को राजस्व न्यायालय में जाँच की जाती है. यदि वसीयत सही है, तो पंजीकृत कर वारिस का डाक्यूमेंट्स प्राप्त कर उसे वेरीफाई किया जाता है. सभी प्रक्रिया के बाद वारिस को नामांतरण कर ownership पेपर दिया जाता है.
वसीयत की वैधता की कोई समय सीमा नही होती है. अर्थात वसीयत हमेशा के लिए वैध होता है, जब तक कि इसे रद्द या संशोधित न किया जाए. यदि वसीयत गलत तरीका से, मज़बूरी में, दबाव में, मानसिक स्थिति सही न होने के स्थिति में बनाया गया है, तो वसीयत अमान्य हो सकता है.
वसीयत नामांतरण के लिए आवश्यक डाक्यूमेंट्स निम्न होने चाहिए.
>वसीयत की कॉपी
>वसीयत की रजिस्ट्रेशन कॉपी
>मृत्यु प्रमाण पत्र
>संपत्ति से संबंधित दस्तावेज (जैसे रजिस्ट्री की कॉपी, टैक्स रसीदें आदि.)
>वारिसों की पहचान पत्र
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