यदि किसी व्यक्ति ने अपने संपत्ति को किसी दुसरे व्यक्ति के नाम से वसीयत रजिस्टर्ड किया है. लेकिन वह वसीयत धमकी देकर वसीयत रजिस्टर्ड कराया गया है. या वसीयत रजिस्टर्ड करने के बाद उस व्यक्ति से किसी प्रकार का विवाद हो जाता है तो एसे में वह वसीयत टूट सकती है. क्योकि वसीयत समय पर निर्भर नही करता है. यह कभी भी प्रभावी हो सकता है.
यदि आप भी किसी व्यक्ति को वसीयत रजिस्टर्ड किया है. या उस व्यक्ति ने आप से बल या धमकी का इस्तेमाल करके वसीयत बनाया है तो एसे वह वसीयत टूट सकती है. इसे अदालत रद्द कर देती है. लेकिन इस के बारे अधिकांस लोगो को जानकरी नही रजिस्टर्ड वसीयत को रद्द कैसे करे.
रजिस्टर्ड वसीयत क्या है
जिस्टर्ड वसीयत एक कानूनी दस्तावेज है जो किसी व्यक्ति द्वारा अपने मुत्यु के बाद अपनी संपत्ति का बटवारा कैसे करना चाहता है, इसका पूरा विवरण होता है. इसे एक पंजीकृत अधिकारी या वकील के सामने दो गवाहों की उपस्थिति में बनाया जाता है. इस दस्तावेज के माध्यम से वसीयतकर्ता अपने संपति को किसी भी व्यक्ति के नाम रजिस्टर्ड कर सकता है.
यद वसीयतकर्ता अपने संपति को किसी भी व्यक्ति के नाम नही करता है तो उस संपति को कानूनों के अनुसार वितरित किया जाएगा, जो उस व्यक्ति के इच्छा अनुसार नहीं हो सकता है.
मुत्यु के बाद वसीयत की वैधता
मृत्यु के बाद वसीयत की वैधता सभी नियम और क़ानूनी तौर पर पूर्ण मानी जाती है क्योकि वसीयतकर्ता की प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री दाखिल ख़ारिज आधिकार के लिए जितना वैल्यूएबल होती है, उसी के समान मृत्यु के बाद भी लिखित वसीयतनामा की वैल्यू होता है.
क्योकि वसीयत की वैधता की कोई समय सीमा नहीं होती है. इसलिए वसीयत में लिखित संपूर्ण नियम और सर्तों से विशेष व्यक्ति के नाम वसीयत लिखित रहता है तो मृत्यु के बाद भी वसियत की वैधता स्व प्रॉपर्टी जितना अधिकार रहता है.
रजिस्टर्ड वसीयत रद्द करने के लिए दस्तावेज
रजिस्टर्ड वसीयत रद्द करने के लिए निम्नलिखित दस्तवेजो की आवश्यकता होती है जी इस प्रकार है:
- वसीयत की फोटोकॉपी,
- वसीयतकर्ता के मानसिक स्वास्थ्य का प्रमाण
- वसीयतकर्ता की धमकी या धोखाधड़ी का प्रमाण
- गवाही जो वसीयत के बारे जनता हो.
रजिस्टर्ड वसीयत रद्द करने कारण
रजिस्टर्ड वसीयत को रद्द करने के लिए यह साबित करना होता है कि वसीयत रद्द करने योग्य है. और वसीयत को कारण से रद्द करना चाहते है.
यदि वसीयत को धोखाधड़ी से या धमकी देकर प्राप्त किया गया था, तो इसे रद्द किया जा सकता है.
वसीयतकर्ता वसीयत बनाने के लिए पर्याप्त मानसिक क्षमता नहीं थी. एसे रजिस्टर्ड वसीयत रद्द किया जा सकता है.
यदि वसीयतकर्ता को वसीयत बनाने के लिए जबरदस्ती मजबूर किया गया है, तो एसे वसीयत रद्द किया जा सकता है.
रजिस्टर्ड वसीयत रद्द कैसे करे
रजिस्टर्ड वसीयत को रद्द करना एक जटिल क़ानूनी प्रकिया है. जिसे रद्द करने की लिए निचे दिए गए प्रकिया को फोलो करे.
- रजिस्टर्ड वसीयत रद्द करने के अपने जिले के जिला अदालत में एक आवेदन पत्र देनी होगी.
- आवेदन पत्र में रजिस्टर्ड वसीयत रद्द क्यों करना चाहते है इसकी पूरी विवरण होना चाहिए.
- इसके बाद आपको सबूत जमा करना होगा. और साबित करना होगा कि वसीयत रद्द करने योग्य है.
- इसके बाद अदालत आपके मामले पर सुनवाई करेगी और फैसला सुनाएगी.
- यदि अदालत फैसला देती है कि रजिस्टर्ड वसीयत रद्द की जानी चाहिए, तो वसीयत को रद्द कर दिया जाएगा और वसीयतकर्ता की संपत्ति उत्तराधिकार के नियमों के अनुसार विभाजित की जाएगी.
वसीयत पर सुप्रीम कोट के फैसले
भारतीय कानून के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने वसीयत के संबंध में कई महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं. जो निम्नलिखित हैं:
- सन1966 के तहत सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वसीयतकर्ता की मृत्यु के बाद वसीयत की वैधता को चुनौती देने का समय उसे वसीयत के 12 साल के भीतर किया जाना चाहिए.
- सन 1975 के तहत सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वसीयतकर्ता को वसीयत बनाने के लिए पर्याप्त मानसिक क्षमता होनी चाहिए. यदि वसीयतकर्ता मानसिक रूप से अस्वस्थ है, तो वसीयत अमान्य होगी.
- सन1990 के तहत सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वसीयत को रद्द करने के लिए, आवेदक को यह साबित करना होगा कि वसीयत को धोखाधड़ी, जबदस्ती से प्राप्त किया गया था.
- सन 2005 के तहत सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वसीयत को रद्द करने के लिए, आवेदक को यह भी साबित करना होगा कि वसीयतकर्ता को वसीयत बनाने के लिए मजबूर किया गया था.
वसीयत को चुनौती देने का समय सीमा क्या है.
भारतीय कानून के अनुसार वसीयत को चुनौती देने की समय सीमा 3 वर्ष है. यदि कोई व्यक्ति वसीयत का चुनौती तिन साल के अंदर देता है उसके वसीयत रद्द कर दिया जाएगा. यदि 3 वर्ष से अधिक हो जाता है तो वसीयत को मान्य माना जाएगा. यह समय सीमा वसीयतकर्ता की मृत्यु की तारीख से शुरू होती है
वसीयत को चुनौती देने के लिए, व्यक्ति को अदालत में एक आवेदन पत्र देना होगा. जिसमे वसीयत को क्यों चुनौती दे रहे है. उसका सभी विवरण होना चाहिए. और व्यक्ति को वसीयत को रद्द करने के लिए पर्याप्त सबूत और गवाह भी अदालत को प्रदान करने होंगे.
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न: FAQs
वसीयतकर्ता के मुत्यु के बाद वसीयत को रद्द नही की जा सकती है. वसीयतकर्ता के रजिस्टर्ड वसीयत के अनुसार की उसके संपति में विभाजित किया जाएगा.
जी हाँ जमीन की वसीयत टूटू सकती है. इसे लिए आपको अपने जिला के अदालत में एक आवेदन पत्र देना होगा. और इसके लिए साबुत और गवाह की आवश्यकता होगी.
वसीयत को भारतीय कानून के अनुसार अदालत द्वारा प्रमाणित किया जाता है. वसीयतकर्ता की मृत्यु हो जाने के बाद, जिस व्यक्ति के नाम पर वसीयत है वह प्रॉपर्टी को प्राप्त कर सकता है.