पैतृक संपत्ति अपने नाम कैसे करे 2024: पूरी जानकारी 2 मिनट में जानें

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पैतृक संपत्ति वह संपत्ति होती है जो आपके लिए पूर्वज छोड़कर जाते हैं चार पीढ़ियों तक हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 2005 में संशोधन से पहले परिवार के केवल पुरुष सदस्य ही प्रतिपक्षी थे. लेकिन बाद में बेटियों को भी पैतृक संपत्ति हिस्सा प्राप्त करने का हक़ दिया गया.

किसी भी पैतृक संपत्ति में हिस्से का अधिकार जन्म के समय ही मिल जाता है यह विरासत के अन्य प्रारूपों जैसा नहीं होता है. ऐसी संपत्ति विरासत में पाने वाले व्यक्ति के बच्चे, पोते-पोतियां और पर-पोते-पोतियां जन्म से ही उसमें रुचि प्राप्त कर लेते हैं.

पैतृक संपत्ति पर संतानों और पत्नी का पूर्ण अधिकार होता है. यदि यह तीन पीड़ियों से चलती आ रही है, तो इस प्रक्रिया के समय क्लेम या क़ानूनी सहायता ले सकते है. इस पोस्ट में पैतृक संपत्ति अपने नाम कैसे करे से सम्बंधित जानकारी उपलब्ध है, जो आपको पर्याप्त जानकारी प्रदान करेगा.

पैतृक संपत्ति क्या होती है?

पैतृक संपत्ति वह संपत्ति होती है जो हमारे पूर्वजो द्वारा विरासत में मिली हुए संपत्ति होती है. या किसी व्यक्ति के पूर्वजों से उसे उत्तराधिकार में मिलती है. पैतृक संपत्ति ऐसी संपत्ति होती है जो व्यक्ति द्वारा अर्जित नहीं की जाती बल्कि उसे उसे क़ानूनी रूप से उतराधिकारी होने पर पैतृक संपत्ति प्रदान किया जाता है.

हमारे भारत देश में अधीनियम 1956 के तहत पैतृक संपत्ति को उतराधिकारी के नाम सौपने का क़ानूनी नियम परिभाषित किया गया है. इसीलिए पैतृक संपत्ति वह संपत्ति होती है जो पीड़ी दर पीड़ी या बिना सामूहिक सोच विचार के विभाजित नहीं की जा सकती है.

पैतृक संपत्ति में निम्न संपत्ति आ सकती है

  • जमीन
  • मकान
  • दुकान
  • कार
  • अन्य चल संपत्ति
  • पैतृक संपत्ति में परिवार के सभी सदस्य का समान आधिकार होता है. जैसे आधिकार व्यक्ति के संतान बेटी या पुत्र दोनों का आधिकार होता है.
  • पैतृक समाप्ति में किसी प्रकार की कोई आपत्ति होती है तो, उसमे व्यक्ति की पत्नी भी आधिकार के लिए क़ानूनी प्रक्रिया अपना सकती है.
  • पैतृक संपत्ति हमारे भारत देश में सदियों से विवाद का हिस्सा बना है जिसे दूर करने के लिए सरकार द्वारा प्रयास किया जा रहा है.

पैतृक संपत्ति अपने नाम करने के लिए आवश्यक दस्तावेज

किसी भी संपत्ति को अपने नाम करने के लिए रजिस्ट्री करना अनिवार्य होता है, और रजिस्ट्रेशन में कुछ दस्तावेज जरुरी होता है. इसलिए, प्रकार पैतृक संपत्ति को अपने नाम करने हेतु कुछ डाक्यूमेंट्स की आवश्यकता होगी, जो इस प्रकार है:

  • आवेदन पत्र
  • संपत्ति का नक्शा
  • संपत्ति का मूल्यांकन रिपोर्ट
  • हलफनामा (यदि कोई वसीयत नहीं है)
  • सभी कानूनी उत्तराधिकारियों का पहचान पत्र
  • सभी कानूनी उत्तराधिकारियों का हस्ताक्षर

पैतृक संपत्ति को अपने नाम करने का क़ानूनी नियम

पैतृक संपत्ति को अपने नाम करने के लिए निम्न क़ानूनी नियम मान्य है.

  • अगर पैतृक संपत्ति अपने नाम करना चाहते है तो, इसके लिए मालिक का मृत्यु होना चाहिए अगर मालिक जिन्दा है और स्वस्थ है तो, आप नियम के अनुसार पैतृक संपत्ति अपने नाम नहीं करा सकते है.
  • पैतृक समाप्ति नाम करने के लिए संपत्ति मालिक का मिर्त्यु हो गई है इसका प्रमाण पत्र कार्यालय में जमा करना होगा. और संपत्ति का दस्तावेज वसीयत है या नहीं अगर है तो, सभी दस्तावेज कार्यालय में जमा करें.
  • पैतृक संपत्ति में आधिकार व्यक्ति के सभी संतानों का समान होता है.

पैतृक संपत्ति कैसे अपने नाम कराये

पैतृक संपत्ति विरासत में मिली हुई संपत्ति होती है जो दादा परदादा के समय से चलती आ रही होती है. यदि पैतृक संपत्ति के उसके हिस्से का उल्लंघन किया जाता है, तो कानूनी उत्तराधिकारी अदालत में दावा दायर कर सकता है.

  • संपत्ति लिखित प्रक्रिया: इसमे जमीन रजिस्ट्री की प्रक्रिया भू तहसील कार्यालय में की जाती है लेकिन यह काफी नहीं होता संपत्ति का पूर्ण हक़ प्राप्त करने के लिए दाखिल ख़ारिज कराना जरुरी होता है. पैतृक संपत्ति क़ानूनी नियमो पर निर्भर करता है.
  • संपत्ति अपने नाम कराएँ: पैतृक को अपने नाम करने के लिए तहसील कार्यालय में ठोस साबुत देना होता है. सबसे पहले आपको संपत्ति का पूर्ण उतराधिकार का साबुत देना होगा. अगर पैतृक संपत्ति पर व्यक्ति ने वसीयत करा रखा है तो पैतृक संपत्ति को अपने नाम करना आसान हो जाता है लेकिन वसीयत क़ानूनी नियम के खिलाफ हुआ रहता है तो कोर्ट पैतृक संपत्ति को अपने नाम करने के लिए मंजूरी नहीं देती है
  • समय अनुसार समस्या यह होती है की व्यक्ति निजी संपत्ति खुद के दम पर कमाई है तो वह किसी को भी दे सकता है अगर संपत्ति विरासत और पूर्वजों की दें रहती है तो इसमे कानून पूर्ण जगह और संपत्ति का निरक्षण करता है उसके बाद पैतृक संपत्ति का उतराधिकारी का चैन करता है.
  • पैतृक संपत्ति की वसीयत न होने पर क्या करें: क़ानूनी उतराधिकारी आपस में बटवारा करलें परिवार के बिच हुए इस बटवारे को फॅमिली सेटल मेंट सब कार्यालय में पंजीकृत करना आवश्यकता होती है. किसी भी पैतृक संपत्ति के पूर्ण मालिकाना हक़ प्राप्त करने के लिए आपसी सेटल मेंट डॉक्यूमेंट जरुरी होता है.
  • वसीयत न होने पे क्या करें: वसीयत न होने पर सभी क़ानूनी उतराधिकारी का नाम प्रमाण पत्र NOC होना जरुरी होता है.
  • पैतृक संपत्ति पर loan है तो पूर्ण करने के बाद ही नामकारण किया जायेगा: संपत्ति का बकाया कर चूका देने पर बैंक द्वारा पैतृक संपत्ति की वसीयत व् दस्तावेज दे दिया जाता है. अगर व्यक्ति ने होम loan पास कराया है तो उपरोक्त प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं पड़ेगी.
  • अगर संपत्ति लीज पर है तो उसको पूर्ण करने के बाद पैतृक संपत्ति का नामकरण किया जायेगा.

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अक्शर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs

Q. पैतृक संपत्ति में हिस्सा कैसे प्राप्त करें?

पैतृक संपत्ति में हिस्सा जन्मसिद्ध आधिकार प्राप्त होता है पैतृक संपत्ति का मौजूदा मालिक और उसके बेटे का प्रॉपर्टी पर बराबर हक होता है.

Q. पिता की जमीन अपने नाम कैसे कराएँ?

पिता की जमीन अपने नाम करवाने के लिए भू सम्बंधित तहसील कार्यालय जाएँ और कोई ठोस प्रमाण पत्र उतराधिकारी होने का जमा करें. उसके बाद कार्यालय द्वारा वारिस प्रमाण पत्र दिया जाता है. जिससे पिता की जमीन आपके नाम कर दिया जाता है.

Q. पिता की संपत्ति पर बेटियों का हिस्सा कितना होता है?

पिता की संपत्ति पर बेटियों का समान हिस्सा होता है अगर जमीन पैतृक है तभी यह नियम लागु होता है.

Q. पैतृक संपत्ति पर कितने सालो तक दावा किया जा सकता है?

किसी भी पैतृक संपत्ति पर 12 सालो तक ही दावा किया जा सकता है अगर 12 सालो से अधिक हो गए तो आप कानून का भी सहारा नहीं ले सकते क्यूँकि 12 साल तक किसी भी जमीन पर अवैध कब्ज़ा रहता है तो वह पूरी तरह क़ानूनी नियम के अनुसार पैतृक संपत्ति का स्वामी होता है.

Q. विरासत और पैतृक संपत्ति में अन्तर?

विरासत अपने निजी जीवन में कमाए गए संपत्ति को कहते है व् पैर्त्रिक संपत्ति पीड़ी दर पीड़ी चल रही संपत्ति होती है.

Q. पैतृक संपत्ति अपने नाम करने में कितना समय लगता है?

पैतृक संपत्ति अपने नाम करने में लगभग 3 से 6 महीने तक का समय लगता है. जानकारी के लिए बता दे कि संपत्ति आपने नाम होने में लगने वाला समय राज्य के अनुसार अलग-अलग हो सकता है.

Q. पैतृक संपत्ति अपने नाम करने में किस प्रकार का शुल्क लगता है?

पैतृक संपत्ति अपने नाम करने में निम्न प्रकार के शुल्क लगता है:
रजिस्ट्री शुल्क
स्टांप शुल्क
इसके अलावे राज्य के अनुसार अलग शुल्क भी लग सकता है.

पैतृक संपत्ति अपने नाम कैसे करे: पैतृक संपत्ति कई सालो से पीड़ी दर पीड़ी चलती आ रही है और हमारे भारत देश में पैतृक संपत्ति पर आधिकार प्राप्त करने के लिए विवाद हमेसा बना रहता है. पैतृक संपत्ति अपने नाम कैसे करे से सम्बंधित पूरी जानकारी इस आर्टिकल में दी गई है. अगर इस पोस्ट से जुड़े किसी प्रकार की कोई समस्या होती है तो, आप कमेंट्स बॉक्स में मेसेज कर सकते है. धन्यवाद.

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