जमीन पर स्टे आर्डर कई प्रकार की परिस्थितियों में लिया जाता है. ऐसी परिस्थिति जिसमें आपकी प्रॉपर्टी पर कोई अन्य व्यक्ति कुछ कार्य कर रहा होता है. और आप उसे रोकना चाहते हैं, तो आप कोर्ट से उसके खिलाफ स्टे आर्डर कि शिफारिस कर सकते है.
कोर्ट द्वारा प्राप्त स्टे आर्डर जमीन पर की जाने वाली किसी भी प्रकार की गतिविधि को रोक देता है. जैसे कि कोर्ट द्वारा कोई फैसला सुनाया गया हो, उसके पश्चात हाई कोर्ट द्वारा उस फैसले पर रोक लगा दी गई हो. इससे स्टे ऑर्डर कहा जाता है, जिसमें पहले स्टे लेने के लिए नजदीकी पुलिस स्टेशन में लिखित complain किया जाता है.
इसके पश्चात व्यक्ति पुलिस को लेकर मौके पर पहुंचती है और निर्माण कार्य को रोकती है साथ ही पुलिस भी यह आदेश देती है कि मामले के सुनवाई या अगला आदेश तक जमीन पर कोई भी निर्माण कार्य ना हो, क्योंकि कोर्ट ने जमीन के लिए स्टे आर्डर जारी किया है. उसके बाद भी अगर कोई सफलता नहीं प्राप्त होने पर कोर्ट की मदद लिया जाता है.
जमीन पर स्टे लेने में कितना खर्च लगेगा
- जमीन का क्षेत्रफल: जमीन को नापकर नक्शा बनाने के बाद नक़्शे में त्रिभुज, चतुर्भुज, वृत्त अथवा बहुभुज आकार का नक्शा बन सकता है. जमीन माप में न्यूनतम तिन भुजाएं और अधिकतर कई भुजाएं हो सकती है. जिसके आधार पर जमीन का नक्शा तैयार किया जाता है. उसके बाद ही जमीन का क्षेत्रफल निकाल कर यह तय होता है की जमीन पर स्टे कितने समय के लिए लगाया जाये.
- ध्यान दे: स्टे आर्डर लेने में यह फिक्स नहीं होता कि कितना खर्च लग सकता है.
- स्थान: किसी भी जमीन पर स्टे लेने के लिए जमीन की जगह और वैल्यू देखी जाती है. यदि जमीन नगर निगम में है या शहर में है व फिर गाँव में है. इसके हिसाब से निर्धारित किया जाता है की जमीन पर स्टे लेने में कितना खर्च आएगा. यह खर्च गाँव के अंतर्गत कम और जमीन शहर के तरफ रहती है तो ज्यादा खर्च लग सकता है.
- सीनियर वकील या जूनियर वकील चार्ज. जमीन पर स्टे लेने के लिए किसी अच्छे वकील के पास जमीन पर स्टे लेने में खर्चा जमीन के क्षेत्रफल, स्थान और संगठन आदि पर निर्भर करता हैं.
- अगर आपकी जमीन का क्षेत्रफल कम या ज्यादा हैं. तो जमीन के क्षेत्रफल पर स्टे का खर्चा निर्भर करता हैं. ज्यादा या कम जमीन होने पर यह खर्चा भी कम और ज्यादा हो सकता हैं. इसके अलावा जमीन किस स्थान पर है. इस पर भी स्टे का खर्चा निर्भर करता हैं.
Note: जमीन पर स्टे लेने में कितना खर्चा आता है के सन्दर्भ में अनुमानित खर्च इस प्रकार है.
सिविल केस में | खर्च रूपये में |
हाई कोर्ट | 20 से 35 हजार |
जिला अदालत | 5 से 20 हजार |
आपराधिक केस में | खर्च रूपये में |
हाई कोर्ट | 10 से 30 हजार |
जिला अदालत | 5 से 15 हजार |
ध्यान दे, यह केवल एक अनुमानित खर्च है, जमीन पर स्टे लेने में इससे अधिक या कम भी हो सकता है. इस खर्च में केस का प्रकार, अदालत का स्तर, वकील की फीस आदि जैसे खर्च शामिल होते है.
जमीन पर स्टे लेने में कितना खर्चा आता है: यह फिक्स नही होता हैं. स्टे का खर्चा कई बार वकील पर भी निर्भर करता हैं. जैसे की सीनियर वकील या जूनियर वकील स्टे ऑर्डर लेने के लिए कितना चार्ज वसूल करते हैं. इसलिए स्टे का खर्चा इन सभी बातो पर निर्भर करता हैं. इसलिए स्टे का खर्चा कम या ज्यादा हो सकता हैं. स्टे का खर्चा फिक्स नही होता हैं.
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FAQs
कौर्ट में दाखिल complain करने के बाद कोई अगला आदेश सुनाई नहीं जाती तो इसका मतलब कि कौर्ट के द्वारा अगला करवाई 6 महीने बाद सुनाई जाएगी. अर्थ होता हैं कि वह स्टे ऑर्डर का आदेश 6 माह तक ही मान्य रहेगा.
तुरंत स्टे प्राप्त करने के लिए एरिया के एक अच्छे वकील से सलाह लें और जितनी भी समस्या है उसको वकील के पास रखें फिर अगला कदम उठायें की क्या करना है क्या नहीं. और यह बताना होगा की आप किस मामले और किस तरह का स्टे ऑर्डर चाहते हैं
अपने पैत्रिक जमीन पर स्टे लेने के लिए सबसे पहले आपको निजी स्तर पुलिस स्टेशन में अपनी समस्या कि शीकायत करना होगा. अगर इससे भी मदद नहीं मिलती है, तो आपको उच्च न्यालय कि राह देखनी पड़ेगी. जिसमे अगर जल्दी जमीन पर स्टे मिलता है तो 1 महीने लग जायेंगे. अगर कोर्ट के द्वारा जल्दी सुनवाई नहीं होती है, तो आपको जमीन पर स्टे मिलने में लगभग 6 महीनो तक लग सकते है. प्रासंगिक दस्तावेजों के साथ एक एफआईआर प्रति और आईडी प्रमाण शामिल हैं. संपत्ति पर स्थगन आदेश के मामले में संपत्ति के उचित दस्तावेजों की आवश्यकता होती है.
जमीन पर स्टे लेने में कितना खर्चा आता है यह आपके जमीन का क्षेत्रफल पर निर्भर करता है. यह भी निर्भर करता है कि जमीन शहर के तरफ है या गाँव के तरफ. इसके हिसाब से जमीन पर स्टे लेने में खर्चा आता है.