उत्तर प्रदेश भूमि पट्टा अधिनियम एक कानून है जो उत्तर प्रदेश राज्य में भूमि के पट्टा के उपयोग से संबंधित नियमों को निर्धारित करता है. यह अधिनियम भूमि के पट्टे, लीज, और अन्य प्रकार के भूमि ट्रान्सफर से जुड़े अधिकारों को दर्शता है. इस नियम के अनुसार खेतिहर मजदूरों और भूमिहीन परिवारों को खेती करने, घर बनाने और अन्य उद्देश्यों के लिए जमीन का पट्टा दिया है. ताकि मजदूरी करने वाले गरीब और असहाय परिवारों की आर्थिक स्थिति सुधर सके.
अगर आप भी उत्तर प्रदेश के नागरिक है और भूमि का पट्टा लेना चाहते है. लेकिन उत्तर प्रदेश भूमि पट्टा अधिनियम के बारे में जानकारी नही है और उत्तर प्रदेश भूमि पट्टा अधिनियम के बारे में अधिक जानकारी लेना चाहते है, तो इस पोस्ट में दिए गए जानकारी के मदद से उत्तर प्रदेश भूमि पट्टा अधिनियम क्या है इसकी जानकारी ले सकते है.
भूमि का पट्टा क्या होता है
भूमि का पट्टा एक कानूनी नियमो द्वारा किया गया समझौता होता है जिसे भूमि का मालिक किसी अन्य व्यक्ति को यानि पट्टेदार को अपना भूमि एक निश्चित समय के लिए उपयोग करने का अधिकार देता है. उसे भूमि का पट्टा कहा जाता है.
उदाहरण के लिए अगर आप किसी व्यक्ति से एक घर निश्चित समय के लिए घर का उपयोग करने का अधिकार लेते हैं और बदले में उस मकान मालिक को किराया देते हैं. इसी तरह, जब कोई भूमि खेती करने या घर बनाने के लिए जमीन किराए पर लेती है, तो वह भूमि का पट्टा होता है.
भूमि पट्टा अधिनियम उत्तर प्रदेश
- भूमि के पट्टा लेने के लिए उस भूमि को चिन्हित करना सबसे जरुरी है.
- पट्टा के लिए आवश्यक डाक्यूमेंट्स की आवश्यकता होती है. जो आवेदन करते समय लगता दें आवश्यक है.
- आवेदन स्वीकार होने पर पट्टा का शुल्क जमीन के क्षेत्रफल एवं उसके उपयोग पर निर्भर करता है.
- भूमि का पट्टा केवल भूमिहीन ग्रामीण किसान, विधवाओं, आदि को उपलब्ध किया जाता है. पट्टा कई प्रकार के होते है, जो अलग अलग होते है. यह पट्टे के ऊपर निर्भर करता है की आप कौन से पट्टा ले रहे है.
- यदि पट्टे की भूमि खेती करने के लिए है, तो केवल खेती कर सकते है. उस भूमि पर माकन नही बना सकते है.
- पट्टे की भूमि को पट्टेदार रजिस्ट्री भी नही कर सकते है.
- पट्टे की भूमि पर गैरकानूनी कार्य नही कर सकते है.
- यदि पट्टे की जमीन एक निश्चित समय अवधि के लिए दिया गया है. और पट्टे की जमीन की अवधि समाप्त हो गया हो तो फिर से वह भूमि मालिक के अधिकार में हो जाता है.
- पट्टे की अवधि समाप्त हो गया है, और उस भूमि को रखना चाहते है, तो फिर से भूमि पट्टा को रिनिवल करना होता है.
- यदि आप पट्टे के भूमि पर गैरकानूनी कार्य करते है, तो पट्टे रद्द भी किया जा सकता है.
भूमि का पट्टा लेने के लिए दस्तावेज
- जमीन के पट्टे का दस्तावेज
- पट्टे की जमीन की रजिस्ट्री पेपर
- दो गवाहों के हस्ताक्षर
- पट्टेदार का पहचान प्रमाण
- आधार कार्ड
- मतदाता पत्र
- पता प्रमाण पत्र
- आय प्रमाण पत्र
- निवास प्रमाण पत्र
सरकारी भूमि के पट्टा के लिए कौन पात्र है
यदि कोई व्यक्ति सरकारी भूमि का पट्टा लेना चाहता है, तो वह व्यक्ति भूमि का पट्टा लेने के पात्र है या नही, इसके निचे दिए गए जानकारी से पता कर सकते है.
- राज्य का स्थायी निवासी
- अनुसूचित जाति/जनजाति के लोग
- गरीब और वंचित वर्ग के लोग
- भूमिहीन लोग
- विधवाएं
- तलाकशुदा महिलाएं
- विकलांग व्यक्ति.
FAQs
जमीन का पट्टा निश्चित तौर पर 99 साल के अवधि के लिए होता है. लेकिन भूमि मालिक और पत्तेदार अपने अनुसार कितने भी साल के लिए बना सकते है. लेकिन आम तौर पर छह महीने से कम की अवधि के पट्टे नही ले सकते है.
पट्टा कैंसिल करने के लिए आवेदन करना पड़ता है. इसके बाद राजस्व कार्यालय द्वारा आपके पट्टे को रद्द कर दिया जाता है.यदि इसे भी पट्टा कैंसिल नही होता है, तो मकदमा करना पड़ता है.
पट्टे की जमीन की रजिस्ट्री कराने के लिए हसीलदार को एक आवेदन देना होगा. इसके बाद पट्टे की जमीन को रजिस्ट्री करानी होगी. इसके बाद यदि पट्टे की जमीन की रजिस्ट्री स्वीकार कर लिया जाएगा तो पट्टे की जमीन को आपके नाम कर दिया जाएगा.
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