कुछ लोग सोने में निवेश कर उसे जमीन से निकालने के कार्य कर रहे है. क्योंकि, सोना की रेट दिन प्रतिदिन बढती रहती है. आज के समय में घर में शादी हो या फिर कोई विशेष फेस्टिवल इन अवसरों पर सोने से बने आभूषणों को खरीदा या अधिक पैमाने पर बनवाना एक फैशन बन गया है.
किसी भी जमीन या किसी अन्य पठार वाले जगहों पर सोना का पता लगाने के लिए GPR यानी ग्राउंड पेनीट्रेटिंग रडार तकनीक या दूसरी प्रक्रिया VLF यानी वेरी लो फ्रीक्वेंसी तकनीक का उपयोग होता है. जांच में मिट्टी के भौतिक गुणों जैसे घनत्व, चुंबकीय गुण, रेजिस्टिविटी को रिकॉर्ड किया जाता है. यदि आप भी अपने जमीन से सोना निकालना या देखना चाहते है, तो जमीन से सोना निकलने की प्रक्रिया देखे.
जमीन से सोना निकालने की प्रक्रिया
भारत में सोने का सबसे अधिक उत्पादन कर्नाटक राज्य में होता है. जिसमे खनन प्रक्रिया या निचे बताये गए निम्न प्रक्रिया द्वारा जमीन से सोना निकला जाता है. कोलार हुट्टी और उटी नामक खदानों से और इसके अलावा आंध्र प्रदश और झारखण्ड राज्य जैसे. हीराबुद्दीनी और केंदरूकोचा की खानों के कुछ भागों भी सोना प्राप्त किया जाता है.
इस पोस्ट में जमीन से सोना निकालने की सभी प्रक्रिया उपलब्ध है. इस प्रक्रिया के माध्यम से सोना निकालने की विधि को सिख सकते है. सभी प्रक्रिया निचे विस्तार में दिया गया है.
पत्थरों की पिसाई विधि
इसमे पुरे दिन में लगभग 300 टन निकाले गए मलवे में 1.6 टन पत्थरों को मशीन की सहायता से बारीकी से बालू की तरह पीसा जाता है. यह प्रक्रिया ज्यादा से ज्यादा 4 से 5 घंटे में पूरी होती है.
इस प्रक्रिया से सोना निकालने का कार्य किया जाता है. इस प्रक्रिया अधिक खर्च आने के साथ अधिक सोना भी प्राप्त किया जाता है.
बालू को गीला करने की विधि
इस विधि में एक गिला कम्बल टेबल पर बीछा रहता है. फिर बालू में पानी डाल कर गिला किया जाता है गिले कम्बल के ऊपर बालू को डाला जाता है. जिसमे सभी बालू असुद्धि बाहर निकल जाती है.
ईएसआई प्रक्रिया को कई बार की जाती है तब सुद्ध सोना की प्राप्ति होती है. सोना कम्बल में ही गिला होने के कारण चिपक जाती है.
कंबल को धोने की विधि
पानी में कम्बल धोने से सोना के छोटे-छोटे कण अलग हो जाते है. जिसको एक टेबल पर डाला जाता है तो सभी अशुद्ध पानी में धोने के कारण बहार निकल गए होते है.
फिर भी कुछ-कुछ अशुद्धि रह जाती है जिसको चुम्बक या चुन कर सोना प्राप्त किया जाता है. फिर सोने से अलग अलग आभूषण बनाये जाते है. जैसे सोने से बिस्किट या ईंट प्लेट आदि चीजें तैयार किया जाता है.
विस्फोटकों से चट्टानों को तोड़ना
जाँच के अनुसार कुछ अंश सोने के दीखते है. तो उस पत्थर को डाइनेमाइट की मदद से विस्फोट किया जाता है. कई किलोमीटर की खुदाई के बाद 1 टन पत्थर निकाला जाता है और पुरे दिन में लगभग 300 टन मलबा बहार असुद्धि के रूप में निकला जाता है.
सोना कभी भी एक जगह नहीं प्राप्त किया जाता है, सोना अलग-अलग जगहों पर माइनिंग करके प्राप्त किया जाता है. और सोना अयस्क या अलग अलग पदार्थ के साथ मिस्त्रित रहता है जिसको निकाल कर अलग किया जाता है.
सोना प्राप्त करने कि रासायनिक प्रक्रिया निम्न है
साईनाईड रासायनिक विधि: यदि किसी जमीन में मिले खदान में सोने कि मात्रा कम है तो खानों से निकले पत्थरों और इसके चूर्ण को कार्बन पल्स प्लांट में रख कर प्रोसेस कराया जाता है. पोटेशियम सायनाइड डालकर लगभग 48 घंटे तक छोड़ देते हैं तो प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद छिपे सोना तरल पदार्थ के रूप प्राप्त होते है.
दूसरी रासायनिक विधि: जमीन से सोना प्राप्त करने के बाद सबसे पहले अयस्क के मिश्रण से सव्धानिपुर्वक साफ़ किया जाता है. फिर उसे छोटे-छोटे टुकड़ों में पिसने के लिए मिल में भेज दिया जाता है. फिर पारो के प्लेटों से गुजरा जाता है. फिर सोना और परा मिलकर अम्लागन प्रक्रिया बना लेते है. उसके बाद इसको ग्राम किया जाता है. तब तक परा वाष्प के रूप में उड़ जाता है. जिसके बाद सोना प्राप्त होता है.
NOTE :
सोना एक ऐसा धातु होता है जिसका उपयोग करना आज कल पैशन मन जाता है और लोग सौख से सोने की खरीदारी करते है और अपने सरीर पर अलग-अलग आभुष्ण के रूप में पहनते है.
सोना एक ऐसा धातु है जो पुरे विश्व में जाना जाता है और लोग इसके दीवाने है क्यों की सोना और धातु के मुकाबले सुंदर औरगलने के बाद कितना भी पतला कर लिया जाये टूटता नहीं.
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जमीन से सोना निकालने सम्बंधित प्रश्न: FAQs
जमीन में सोना या धातू की पता लगाने के लिए भारत में पहली GPR यानी ग्राउंड पेनीट्रेटिंग रडार तकनीक दूसरी VLF यानी वेरी लो फ्रीक्वेंसी तकनीक का उपयोग किया जाता है उसके बाद ही उस जगह की माइनिंग की जाती है उसके बाद स;सोना प्रपात किया जाता है.
सोना मुख्यत वैसी जगहों पर पीई जाती है. जहां पानी का प्रवाह मोड़ और लॉग जैसी समस्या या नदी में मोड़ जैसी जलधारा की रूप रेखा के कारण दिशा बदल जाता है. दो नदियाँ या धाराएँ एक साथ आकर मिलती हैं इसे संगम क्षेत्र या दो नदियों का मिलाप कहते है. ऐसी जगह पर सभी असुधियाँ इकट्ठा होती है. जिसमे सोना का मिश्रण भी प्राप्त होता है.
पानी से सोने की पहचान दो तरीकों से किया जाता है. जाँच करने के लिए सोना को पानी में डालें अगर सोना पानी में डूब जाता है तो सोना असली है अगर सोना नहीं डूबता तो सोना नकली है.
दूसरी प्रक्रिया. सोना की जाँच करने के लिए चुम्बक के पास रखें अगर सोना चुम्बक की तरफ मूव करता है तो dublicate है अगर मूव नहीं करता है तो सोना ओरिजिनल है.
किसी भी सोने की ध्वनि धातुएं आपस में टकराने पर रिंगिंग धीमी ध्वनि आती है जिससे सोने की पहचान किया जा सकता है.
सिल्वेनाइट और कैलावेराइट सोना धारण करने वाले खनिज हैं. ज्यादा तर सोना क्वार्ट्ज नसों, या प्लेसर स्ट्रीम बजरी में प्राप्त किया जाता है. इसका व्यापर अलग-अलग देशो में किया जाता है. जैसे. संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशो में पड़े पैमाने पर किया जाता है.