किसी भी जमीन को खरीदने पर उस जमीन की रजिस्ट्री करना एक महत्वपूर्ण प्रकिया होती है. हालांकि, जमीन के अनुसार रजिट्री की प्रकिया अलग अलग प्रकार के होती है. तथा रजिस्ट्री प्रकिया राज्य के अनुसार भिन्न हो सकता है. इसलिए किसी भी जमीन की रजिस्ट्री कराते समय रजिस्ट्री के प्रकार एवं दस्तावेजो के बारे में जानकारी प्राप्त कर लेना चाहिए.
जमीन की रजिस्ट्री एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जो जमीन का मालिकाना हक एक व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति तक पहुँचाने का कार्य करता है. जमीन के आधार पर रजिस्ट्री प्रक्रिया अलग अलग हो सकते है. जैसे किसी जमीन को बंधक रखना है, तो इसका रजिस्ट्री अलग प्रकार से किया जाएगा, क्योंकि, निश्चित समय के अनुसार वापस करना है. इसलिए, जमीन के प्रकृति पर रजिस्ट्री अलग अलग किया जाता है. आइए जानते है कि जमीन की रजिस्ट्री कितने प्रकार की होती है और इसके क्या मतलब है.
जमीन की रजिस्ट्री के प्रकार
भारत में जमीन की रजिस्ट्री मुख्य रूप से तिन प्रकार की होती है. जो इस प्रकार है:
- पहला बिक्री विलेख: यह रजिस्ट्री सबसे आसन प्रकार की होती है, जो जमीन के खरीदार और विक्रेता के बीच लेनदेन को दर्शाता है. जैसे की जमीन का विवरण, जमीन खरीद मूल्य, भुगतान की शर्तें और जमीन के मालिक की जानकारी शामिल होती है.
- दूसरा दानपत्र: यह रजिस्ट्री तब की जाती है जब कोई व्यक्ति अपने जमीन को किसी रिश्तेदार या अन्य व्यक्ति को जमीन उपहार में देता इसमें दानकर्ता, प्राप्तकर्ता, जमीन का विवरण और उपहार देने की शर्तें शामिल होती हैं.
- तीसरा विनिमय विलेख: यह रजिस्ट्री तब की जाती है जब दो या दो से अधिक लोग अपनी जमीन का एक दूसरे के साथ आदान-प्रदान करते है. इसमें प्रत्येक जमीन का विवरण, मूल्य की जानकारी शामिल होती है.
जमीन रजिस्ट्री कैसे कराए
- जमीन की रजिस्ट्री कराने के लिए अपने क्षेत्र के उप-निबंधक कार्यालय जाए.
- इसके बाद किसी अच्छे वकील के सलाह से दोनों पक्षों की मदद से बैनामा तैयार करें.
- बैनामा तैयार करने के बाद उसके लिए स्टंप पेपर तैयार करें.
- स्टंप पेपर पर जमीन सम्बंधित मूल्य व नियम और सर्तों का ववरण लिखित रूप में दर्ज किया जाता है.
- अब जमीन से सम्बंधित सभी विवरण यानि किस समय कितना पेमेंट हुआ है. सभी बिलों की जानकारी सहित विवरण दर्ज करे.
- इसके बाद विक्रेता का हस्ताक्षर कराएँ. जिसमे लिखा हुआ रहता है की में बिक्रेता सर्तों और नियमो को मानते हुए अपनी जमीन नये व्यक्ति के नाम ट्रान्सफर कर रहा है.
- अब फिर से दोनों पक्षों के दो गवाहों के हस्ताक्षर स्टंप पेपर पर कराएँ.
- इसके बाद रजिस्ट्री की प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद स्टंप पेपर रजिस्ट्री ऑफिस में जमा करें.
- इसके बाद आपके जमीन की रजिस्ट्री कर दिया जाता है.
जमीन रजिस्ट्री में लगने वाले दस्तावेज
जमीन रजिस्ट्री कराने में लगने वाले दस्तावेज निम्न है. इन दस्तावेजों की आवश्यकता विक्रेता व क्रेता दोनों पक्षों को पड़ती है. जिससे जमीन की रजिस्ट्री करा सकते है.
- पहचान पत्र
- पावर ऑफ़ अटार्नी
- अप्वाय्मेंट लैटर
- प्रॉपर्टी टैक्स से जुड़ी लेटेस्ट रसीदें
- बैनामा दस्तावेज
- जमीन खाता प्रमाण पत्र
- NOC – नॉन ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट
- जमीन विक्रेता के फोटोग्राफ
- क्रेता का फोटोग्राफ
- 2 गवाहों के फोटोग्राफ और आईडी प्रूफ
ध्यान दे: जमीन रजिस्ट्री की प्रकिया अलग अलग राज्यों में भिन्न हो सकते हैं. इसलिए जमीन रजिस्ट्री कराने से पहले यह जानकारी प्राप्त करना आवश्यक है.
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न: FAQs
जमीन की रजिस्ट्री मुख्य रूप से तिन प्रकार की होती है. जैसे बिक्री विलेख, दानपात्र, विनिमय विलेख. इस तीनो की रजिस्ट्री की प्रकिया अलग अलग होती है. जैसे Deed में क्रेता और विक्रेता मिलकर तहसील में जमीन खरीदने और बेचने के लिए सेल डीड तैयार करवाते हैं.
जमीन के मुख्य प्रकार को विभिन्न वर्गो में वर्गीकृत किया गया है. जैसे : कृषि योग्य भूमि, गैर-कृषि योग्य भूमि, सरकारी जमीन, निजी जमीन, बंजर भूमि, आदि इस प्रकार जमीन को अन्य उप-श्रेणियों में भी वर्गीकृत किया गया है.
जमीन रजिस्ट्री में दोनों पक्षों के गवाह होते है, जो बेचने वाले और खरीदने वाले दोनों को पहचानते हो. क्योकि, गवाही के लिए गवाह के पहचान पत्र जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी और सिग्नेचर आदि की आवश्यकता होती है.
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