दाखिल ख़ारिज करने का नियम यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि जमीन खरीदने के बाद उस जमीन का दाखिल ख़ारिज करना जरुरी है. दाखिल ख़ारिज एक महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है जिससे यह पता चलता है की जमीन का हक़दार संपूर्ण रूप से कौन है. दाखिल ख़ारिज करने के नियम के अनुसार क़ानूनी तौर पर जमीन का टाइटल बदल दिया जाता है व नये मालिक को जमीन का संपूर्ण आधिकार दे दिया जाता है.
दाखिल ख़ारिज करने के लिए कार्यालय द्वारा जमीन के सभी महत्वपूर्ण दस्तवेज जैसे जमीन रजिस्ट्री दस्तावेज व क्रेता का मोबाइल नंबर, विक्रेता का पुराने जमीन का रसीद, क्रेता का आधार कार्ड फोटो कॉपी आदि की आवश्यकता होती है सभी दस्तावेजो की सावधानीपूर्वक कार्यालय द्वारा जाँच की जाती है. उपरोक्त प्रक्रिय पूर्ण होने के बाद रजिस्ट्री की हुई जमीन की दाखिल ख़ारिज लग-भग 35 से 90 दिनों के अन्दर कर दी जाती है जिसमे 200 से 2500 तक खर्च लग जाता है. आइए दाखिल खारिज के नियम से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण जानकारी देखते है.
दाखिल ख़ारिज का क्या नियम है?
कृषि भूमि का नामांतरणः किसी भी जमीन की रजिस्ट्री की जाती है तो उस जमीन की उत्परिवर्तन किया जाता है जिससे विक्रेता के नाम जमीन के टाइटल को change कर दिया जाता है और क्रेता के नाम जमीन लिखित रूप से दाखिल ख़ारिज कर दी जाती है.
कार्यालय द्वारा स्टंप लगा दस्तावेज क्रेता को जमीन का खाता दिया जाता है जिससे क़ानूनी तौर पर सिद्ध होता है की दाखिल ख़ारिज कार्यालय द्वारा कर दी गई है.
गैर कृषि नामांतरण: अक्शर जमीन क्रेता सोचते है की गैर कृषि नामांतरण जमीन की रजिस्ट्री करना अनिवार्य नहीं होता लेकिन किसी भी जमीन की रजिस्ट्री करने के बाद जमीन की दाखिल ख़ारिज नहीं किया जाता है तो उस जमीन पर क़ानूनी तौर से संपूर्ण आधिकार क्रेता का नहीं होता ऐसा करने से किसी भी समय जमीनि विवाद उत्पन्न हो सकता है.
इसीलिए गैर कृषि नामांतरण में भी जमीन की टाइटल change करा लेनी चाहिए और जमीन रजिस्ट्री के बाद दस्तावेजों को तहसील कार्यालय में जमा कर दाखिल ख़ारिज करा लेनी चाहिए जिससे क़ानूनी तौर पर संपूर्ण रूप से स्टंप लगा डॉक्यूमेंट कार्यालय द्वारा क्रेता को प्रदान किया जाता है.
दाखिल खारिज हेतु सावधानी
- विक्रेता: क्रेता द्वारा 90 दिनों के अन्दर अगर किसी वजह से क्रेता द्वारा पेमेंट प्रक्रिया व रजिस्ट्री करते समय नियम का पालन क्रेता द्वारा नहीं होता है तो विक्रेता दाखिल ख़ारिज कैंसिल करवा सकता है.
- क्रेता: किसी भी जमीन की खरीदी की जा रही है तो उसमे कुछ नियम और शर्ते होती है जिसके अन्दर क्रेता द्वारा पेमेंट कर दिया जाता है. और जमीन विवादित होती है तो इसमे क्रेता पुलिस complain कर सकता है.
ध्यान दे, दाखिल खारिज होने से यह सुनिश्चित हो जाता है कि जिस ज़मीन या घर को खरीदा गया है, उससे किसी को कोई आपत्ति नहीं है. एक बार दाखिल खारिज हो जाने के बाद खरीदार उस जमीन को बेच भी सकता है. वही यदि दाखिल खारिज नही हुआ है, तो उस जमीन का मालिक बेचना वाला ही है.
दाखिल खारिज से जुड़े महत्वपूर्ण नियम
- जमीन की रजिस्ट्री करने के बाद दाखिल खारिज कराने का काम 35 से 45 दिनों के अंदर पूरा कर लेना चाहिए.
- दाखिल खारिज करने से जुड़े आवेदन को अंचल अधिकारी या राजस्व अधिकारी रद्द नहीं कर सकते है.
- अगर किसी जमीन की रजिस्ट्री हाल ही में हुई है और उस पर कोई आपत्ति है, तो उसे 90 दिनों के भीतर में रद्द करवाया जा सकता है.
- अगर आपने किसी जमीन की रजिस्ट्री करा ली है और दाखिल खारिज नहीं कराया है, तो कानूनी रूप से जमीन पर आपका अधिकार नहीं होगा.
- अगर आप रजिस्ट्री के बाद दाखिल खारिज नही कराते है, तो उस जमीन पर कोई अन्य व्यक्ति अपना अधिकार व्यक्त कर सकता है.
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जमीन रजिस्ट्री में कार्यालय के अन्दर जमा किये गए सभी दस्तावेज सही होते है तो जमीन का दाखिल ख़ारिज 25 दिन व् 30 दिनों के अन्दर कर दी जाती है.
क्रेता द्वारा किसी भी जमीन की खरीदी की जाती है तो उस जमीन की रजिस्ट्री होती है फिर उस जमीन की दाखिल खारीज करवाना अनिवार्य होता है जिसके अंतर्गत पुराने मालिक का नाम हटवाकर नये मालिक का नाम रजिस्ट्री कराइ जाती है जो 90 दिनों के अन्दर करने का प्रावधान है.
किसी भी जमीन की दाखिल ख़ारिज कर दी गई है तो उसके 90 दिनों तक दाखिल ख़ारिज कैंसिल किया जा सकता है. जिसके लिए किसी ठोस साबुत की जरुरत होती है जैसे, गैर क़ानूनी रारिके जबरदस्ती रजिस्ट्री करना व पेमेंट समय अनुसार न मिलना आदि ठोस कारण हो सकते है.
गैरमजरूआ जमीन की दाखिल ख़ारिज करने के लिए रैयती प्रमाण पत्र देना पड़ेगा. उसके बाद गैरमजरूआ जमीन की दाखिल ख़ारिज की जाएगी.
< रजिस्ट्री की हुई जमीन का डॉक्यूमेंट
< मोबाइल विक्रेता का
< आधार कार्ड क्रेता का
< जमीन का पुराना रसीद विक्रेता का