लीज की जमीन की रजिस्ट्री कैसे होती है

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यदि आपके पास जमीन नही है और आप मकान, बिजनेस, या किसी अन्य जरूरतों के लिए जमीन लीज पर लेना चाहते है, तो इसके लिए आवेदन कर सकते है. पहले जमीन को लीज पर लेना काफी मुशकिल था. लेकिन आज के समय में सरकार ने लीज पर जमीन लेने की प्रकिया को काफी आसान कर दिया है.

लेकिन अभी भी बहुत से लोग है जिन्हें यह जानकारी नही है कि लीज की जमीन क्या है और लीज की जमीन की रजिस्ट्री कैसे कैसे होती है. इसलिए इस पोस्ट में पूरी जानकारी स्टेप by स्टेप उपलब्ध किया है, जिसे फॉलो कर लीज की जमीन रजिस्ट्री कराने में मदद करेगा.

लीज की जमीन क्या होती है

लीज की जमीन एक ऐसी जमीन होती है, जिसका मालिकाना हक़ किसी अन्य व्यक्ति या संगठन के पास होता है. और उस जमीन को किसी और व्यक्ति को लीज पर एक निश्चित अवधि के लिए किराए पर दिया जाता है, जिसे लीज की जमीन कहा जाता है.

लीज की जमीन की अवधि आमतौर पर 99 साल की होती है. क्योकि उस जमीन को बार बार किस अन्य व्यक्ति के नाम पर ट्रान्सफर नही किया जा सके. ताकि वह व्यक्ति अपने जीवनकाल में उस जमीन पर घर बना सके या कोई उद्योग शुरू कर सके. यदि लीज की जमीन किसी विशेष उदेश्य के लिए दिया जाता है तो उसकी समय अवधि कम भी हो सकती है.

लीज की जमीन की रजिस्ट्री करने के लिए आवश्यक दस्तावेज

लीज की जमीन की रजिस्ट्री करना के लिए कुछ आवश्यक दस्तावेजो की आवश्यकता होती है, जो इस प्रकार है.

  • खरीदार और विक्रेता के आधार कार्ड, पैन कार्ड
  • लीज डीड की दो फोटोकॉपी
  • खरीदार और विक्रेता के दो- दो फोटो
  • स्टांप शुल्क
  • रजिस्ट्री शुल्क

लीज की जमीन की रजिस्ट्री कैसे होती है

  • लीज की जमीन की रजिस्ट्री कराने से पहले लीज देने वाले व्यक्ति से लीज डीड प्राप्त करे.
  • क्योकि लीज डीड में लीज की अवधि, किराया, और अन्य शर्तें लिखी होती है.
  • इसके बाद लीज डीड को रजिस्ट्री कार्यालय में लेकर जाए.
  • लीज डीड के साथ सभी डॉक्यूमेंट को लगाए. जैसे
    • खरीदार और विक्रेता के आधार कार्ड या पैन कार्ड
    • लीज डीड की दो प्रतियां की फोटोकॉपी
    • खरीदार और विक्रेता के दो फोटो
    • स्टांप शुल्क और रजिस्ट्री शुल्क
  • इसके बाद लीज डीड और सभी डॉक्यूमेंट को रजिस्ट्री कार्यालय में संबंधित अधिकारी के पास जमा करे.
  • अब रजिस्ट्री अधिकारी लीज डीड की जांच करेगा. यदि लीज डीड सही होगा तो रजिस्ट्री अधिकारी लीज के जमीन को रजिस्ट्री कर देगा.

लीज की जमीन की रजिस्ट्री शुल्क और स्टांप शुल्क क्या होती है.

रजिस्ट्री शुल्क: भारत में लीज की जमीन की रजिस्ट्री के लिए शुल्क अलग अलग राज्यों में अलग अलग होता है. और यह शुल्क राज्य सरकार द्वारा निर्धारित किया जाता है. और लीज के जमीन की कीमत और अवधि के आधार पर रजिस्ट्री शुल्क निर्धारित किया जाता है.

स्टांप शुल्क: स्टांप शुल्क जमीन की कीमत के आधार पर निर्धारित किया जाता है. और यह शुल्क जमीन की विक्रेता और खरीदार दोनों को भुगतान करना होता है.

यदि किसी राज्य में लीज की जमीन के लिए स्टांप शुल्क 6% है, और पंजीकरण शुल्क 2% है, और जमीन की कीमत 10,00,000 है, तो लीज की जमीन की रजिस्ट्री शुल्क 60,000 होगा. और पंजीकरण शुल्क 20,000 होगा.

लीज की जमीन रजिस्ट्री की नियम और शर्तें

लीज की जमीन रजिस्ट्री कराने के लिए निम्नलिखित नियम और सर्ते होते है जो इस प्रकार है:

  • लीज की जमीन की रजिस्ट्री के लिए लीज डीड होना आवश्यक है.
  • लीज डीड को एक रजिस्ट्री कार्यालय में पंजीकृत किया होना चाहिए.
  • लीज की जमीन की रजिस्ट्री के लिए दोनों पक्षों की पहचान साबित करने के लिए आवश्यक दस्तावेज और हस्ताक्षर होना चाहिए.
  • लीज की जमीन की रजिस्ट्री के लिए स्टांप शुल्क देना होगा.
  • लीज की जमीन की रजिस्ट्री के लिए रजिस्ट्री शुल्क देना होगा.

लीज की जमीन रजिस्ट्री कराने से पहले सावधानियाँ

  • लीज डीड को ध्यान से पढ़कर समझे
  • लीज की अवधि और किराए की राशि को ध्यान से जाँच करे.
  • लीज डीड में दोनों पक्षों के हस्ताक्षर और मुहर लगी होनी चाहिए.
  • अन्य शर्तों को भी ध्यान से पढ़ें.
  • लीज डीड को एक रजिस्ट्री कार्यालय में पंजीकृत कराएं.

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नं: FAQs

Q. लीज रजिस्ट्री क्या है?

लीज रजिस्ट्री एक क़ानूनी प्रकिया है. जिसके माध्यम लीज की जमीन का मलिकना अधिकार प्राप्त होता है. लीज की जमीन रजिस्ट्री की अवधि 99 साल की होती है. इसके बाद फिर उस जमीन का अधिकार मालिक के पास आ जाता है.

Q. लीज कितने साल की होती है?

लीज आमतौर पर 99 साल के लिए होता है. और यह लंबी अवधि है. जिससे उस जमीन को बार बार किसी अन्य व्यक्ति को ट्रान्सफर नही किया जा सकता है. यदि किसी विशेष उदेश के लिए लीज पर जमीन ले रहे है तो उसकी अवधि कम भी हो सकती है.

Q. लीज डीड रजिस्ट्रेशन क्या है?

लीज डीड रजिस्ट्रेशन एक प्रकार से संपत्ति को लंबी अवधि के लिए किराए पर देने के लिए मकान मालिक और किरायेदार द्वारा किया गया एक समझौता होता है. जिसमे लीज की अवधि, किराया, और अन्य शर्तें लिखा गया होता है.

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