पैतृक संपत्ति की वसीयत नही किया जा सकता है, क्योंकि, पैतृक संपत्ति में सभी का सामान अधिकार होता है. लेकिन स्व अर्जित संपत्ति का वसीयत कर सकते है. जानकारी के लिए बता दे कि पैतृक संपत्ति खुद एक वसीयत के तहर ही काम करता है, जिसमे परिवार के सभी सदस्यों का सामान अधिकार निहित होता है.
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा है कि स्व-अर्जित संपत्ति का विसियत किसी को भी कर सकते है. लेकिन पैतृक संपत्ति को किसी को दान में नहीं दिया जा सकता है और यदि ऐसा किया जाता है, तो उसे फ़र्ज़ी माना जाएगा. आईडी जानते है, क्या पैतृक संपत्ति की वसीयत की जा सकती है या नही कि पूरी जानकारी
पैतृक संपत्ति का वसीयत क्या है
किसी भी पैतृक संपत्ति का बटवारा अगर पिता पारिवारिक तौर पर सभी बेटी व भाइयों में सामान आधिकार से करता है उसे वसीयत कहते है. वसीयत में चल, अचल संपत्ति का विवरण लिखा जाता है, जो मालिक होने का हक़ प्रदान करता है उसे वसीयत कहते है.
पैतृक संपत्ति का वसीयत एक ऐसा कानूनी डॉक्यूमेंट है जिसमें व्यक्ति अपनी संपत्ति को अपने उत्तराधिकारी को या उन व्यक्तियों को सौंपता है जिन्हें वे मानते या पसंद करते है. इसका मतलब है कि जब किसी व्यक्ति मृत्यु हो जाती है, तो उसकी संपत्ति का विभाजन उसके निर्धारित उत्तराधिकारियों के बीच किया जाता है.
क्या पैतृक संपत्ति की वसीयत की जा सकती है?
नही, वसियत में अपने संपत्ति का विभाजन परिवार के सभी सदस्यों के बिच होता है. लेकिन ये केवल स्व अर्जित संपत्ति के सन्दर्भ में होता है. लेकिन पैतृक संपत्ति की वसीयत बनाने की आवश्यकता नही है. क्योंकि, इसे दान में नही दिया जा सकता है, तो इसका विभाजन केवल परिवार के बिच ही होगा. अगर पैतृक संपत्ति का वसीयत बनता भी है, तो वह इस प्रकार से हो सकता है:
पैतृक संपत्ति का वसीयत निम्न प्रकार हो सकता है.
- वसीयत लिखने के लिए कोई क़ानूनी नियम लागु नहीं है. वसीयत कर्ता अपने निजी भाषा में वसीयत विवरण को लिख सकता है.
- भारतीय वसीयत अधिनियम 1956 के अनुसार, पैतृक संपत्ति की वसीयत की जा सकती है.
- 1956 अधिनियम के अनुसार व्यक्ति को अपनी संपत्ति को वसीयत के माध्यम से बांटने का अधिकार है. एक वसीयत में, संपत्ति को अलग-अलग वंशजों के बीच विभाजित किया जाता है.
- पैतृक संपत्ति उसके बच्चों या रिश्तेदारों के हक़ में हो जाती है.
- 1956 के अधिनियम के अनुसार व्यक्ति को अपनी संपत्ति को वसीयत के माध्यम से बांटने का अधिकार है.
- लिखित वसीयतनामा में दो गवाहों की आवश्यकता होती है.
- वसीयत में लिखित एक-एक शब्द मत्वपूर्ण होता है जिसे क़ानूनी तौर पर लिखित वसीयतनामा डॉक्यूमेंट माना जाता है.
पैतृक संपत्ति की वसीयत क्यों बनानी चाहिए?
वसीयत बनाना उस परिवार के लिए आवश्यक है, जहां पर संभव हो की संपत्ति के बंटवारे के दौरान परिवार के वारिसों के बिच झगड़ा हो सकता है. इसलिए, संपत्ति के मालिक अपने सुभचिंतन से एक वसीयत तैयार करना चाहिए. हालांकि पैतृक संपत्ति की वसीयत बनाना जरुरी नही है.
पैतृक संपत्ति का वसीयत निम्न आधार पर बनाना चाहिए:
वारिसों के बीच बटवारा: पैतृक संपत्ति की वसीयत बनाने से व्यक्ति यह सुनिश्चित कर सकता है कि उसकी संपत्ति उसके परिवारों के बीच समझौता के साथ बाँटी जाएगी, और किसको कितना हिस्सा मिलेगा.
संपत्ति की सुरक्षा: वसीयत व्यक्ति को यह सुनिश्चित करने में मदद कर सकती है कि उसकी संपत्ति उसके वारिसों की वित्तीय सुरक्षा प्रदान करे.
अनुशासन और दायित्व: वसीयत व्यक्ति को यह संदेश देने में मदद कर सकती है कि वह अपनी संपत्ति का सही तरीके से और जिम्मेदारी से इस्तेमाल करे.
पैतृक संपत्ति की वसीयत बनाने का लाभ
- व्यवसाय की निरंतरता के लिए प्रावधान
- विवाद से संपत्ति को बचाना
- वसीयत कर्ता स्वइच्छा अनुसार विभाजन
- भरोसा और अभिभावक व्यक्ति
- भरोसा नहीं होने पर वसीयत कैंसिल आदि जैसे सुविधा
पैतृक संपत्ति की वसीयत बनाने के शर्ते
- वसीयत लिखते वक्त वसीयतकर्ता के साथ दो गवाहों की आवश्यकता होती है.
- वसीयत कर्ता की आयु कम से कम 21 वर्ष होनी चाहिए
- पैतृक संपत्ति का वसीयत हमेशा लिखित शब्दों में होनी चाहिए
- वसियतकर्ता की स्वास्थ्य अच्छी न हो उस व्यक्ति के इच्छा अनुसार कोई दूसरा व्यक्ति signature कर सकता है.
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क्या पैतृक संपत्ति की वसीयत की जा सकती है: FAQs.
नहीं, पैतृक संपत्ति की वसीयत नहीं की जा सकती है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने यह सुनिश्चित किया है कि पैतृक संपत्ति को किसी को दान में नहीं दिया जा सकता है. केवल स्व-अर्जित संपत्ति को जिसे चाहें उसे दे सकते हैं.
हाँ पैतृक जमीन पर बेटी दावा कर सकती है क्यूँकि 1956 के अधिनियम के तहत बेटी भी बेटों के सामान आधिकार की पत्रा है.
पैतृक संपत्ति लिखने के लिए कोई नियम कानून नहीं है वसीयतकर्ता किसी भी भाषा में अपनी निजी स्तर पर विसियत लिख सकता है.