जाने क्या होता है, पैतृक संपत्ति में बहु का अधिकार

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

पैतृक संपत्ति ऐसा संपत्ति है, जो पूर्वजों से विरासत में मलती है. जो हिन्दू अधिकार अधिनियम के अनुसार चाहे वह बेटी हो, बहू हो, मां हो या पत्नी हो, पैतृक संपत्ति में उसका अधिकार अलग अलग नियमो द्वारा निर्धारित होता है. जो अधिकांस लोगो को जानकारी नही है. पैतृक संपत्ति में बहु का अधिकार कितना होता है. क्योकि जब उसके पति का अचानक मृतु हो जाता है.

एसे में क़ानूनी रूप से बहु का भी पैतृक संपत्ति में अधिकारी होता है. लेकिन कुछ लोगो को जानकारी नही है कि क्या पैतृक संपत्ति में बहु अधिकार होता है, इसलिए इस पोस्ट में पैतृक संपत्ति में बहु का क्या अधिकार है. इसके बारे में सभी जानकारी को उपलब्ध किया गया है.

पैतृक संपत्ति क्या होता है

पैतृक संपत्ति वह संपत्ति है जो किसी व्यक्ति को उसके पिता या उसके पूर्वजों जैसे (दादा, परदादा, इत्यादि) से विरासत में मिलती है. यह संपत्ति कम से कम तीन पीढ़ियों से पुरुषों में चली आ रही होती है और इसका विभाजन नहीं हुआ होता है. जिसे पैतृक संपत्ति कहा जाता है.

हिंदू उत्तराधिकार कानून, 1956 के तहत, पैतृक संपत्ति में भाई-बहन, बेटियां और पोते-पोती को भी समान रूप से अधिकारी होते हैं. इसलिए पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी पैतृक संपत्ति पर समान अधिकार है.

पैतृक संपत्ति में बहु का अधिकार

पैतृक संपत्ति में बहू का अधिकार सीमित होता है. यह अधिकार उसके पति के साथ वैवाहिक संबंध और उसके पति के अधिकारों पर निर्भर करता है. क्योकि एक बहू को उसकी शादी की तारीख से परिवार के सदस्य का दर्जा देता है. इसलिए बहु अपने पति के हिस्से में परिवार की संपत्ति पर अधिकार प्राप्त करती है.

अन्यथा बहु अपने परिवार वालो की संपत्ति पे कोई दावा नही कर सकती है. क्योकि पैतृक संपत्ति में बहू के अधिकारों से संबंधित विभिन्न नियम हो सकते हैं.

  • पति के किसी भी स्व-अर्जित संपत्ति पर समान अधिकार होता है, लेकिन हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत, एक बहू का पैतृक संपत्ति में अधिकार नहीं होता है.
  • पैतृक संपत्ति के बटवारे की स्थिति में बहू अपने हिस्से का दावा करने का अधिकार है.
  • बहू को उसके पति और उसके परिवार के सदस्यों द्वारा रखरखाव की आवश्यकता प्रदान करने का अधिकार है.

पति के पैतृक संपत्ति पर पत्नी का अधिकार

पति की मृत्यु के बाद, उसके पत्नी को पति द्वारा छोड़ी गई संपत्ति पर अधिकार होता है. यह संपत्ति या तो पैतृक या स्व-अर्जित हो, उसके द्वारा अर्जित अधिकार मृत पति की पत्नी का अधिकार होता है.

पत्नी को निवास का अधिकार तब तक रहता है. जब तक कि उसके पति के साथ वैवाहिक संबंध है. निवास का अधिकार तब भी होता है जब मकान किराए का पर हो, यदि संपत्ति उसके पति के पिता द्वारा की स्वअर्जित संपत्ति में बहू का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि इसमें पति का कोई हिस्सा नहीं है. यदि संपत्ति स्वअर्जित संपत्ति है तो विधवा बहू का उस पर कोई अधिकार नहीं होता है.

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न: FAQs

Q. क्या बहू ससुर की संपत्ति का दावा कर सकती है?

यदि ससुर के द्वारा संपत्ति को अर्जित किया गया है, तो उस सम्पति में बहु का कोई अधिकारी नही है. इसलिए ससुर की संपत्ति में बहु कोई दावा नि कर सकती है. बहु केवल अपने पति के संपत्ति पर अधिकार का दावा कर सकती है.

Q. क्या बहू को पैतृक संपत्ति में अधिकार है?

हिंदू उत्तराधिकार कानून, 1956 के तहत, बहू को भी पैतृक संपत्ति में समान अधिकार होता है. क्योकि वह पैतृक संपत्ति में हिस्सा पाने की हकदार है, इसलिए बहू को पैतृक संपत्ति में उसके पति के हिस्से के बराबर अधिकार मिलता है.

Q. क्या बहू पैतृक संपत्ति बेच सकती है?

बहू पैतृक संपत्ति को बेच सकती है, लेकिन उसकेपरिवार के सभी सदस्यों की सहमति होनी चाहिए. जैसे कि उसके पति, उसके ससुर, और उसके देवर-भाऊजाई आदि से सहमति प्राप्त करनी होगी.

Q. क्या बहू पैतृक संपत्ति का विभाजन कर सकती है?

बहू पैतृक संपत्ति का विभाजन कर सकती है, लेकिन उसके परिवार के सभी सदस्यों के सहमति प्राप्त करनी होगी. इसके पश्चात सम्पाती में विभाजन कर सकती है.

संबधित पोस्ट,

पैतृक संपत्ति अपने नाम कैसे करे
पैतृक संपत्ति बेचने का नियम क्या हैं
क्या पैतृक संपत्ति की वसीयत की जा सकती है
पैतृक संपत्ति में बेटी का आधिकार
पिता की संपत्ति में विवाहित बेटी का अधिकार
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Leave a Comment