भूमि का नामांतरण एक कानूनी प्रक्रिया है. जिसमे जिसमें कई नियम सामिल होते है. जब भी कोई व्यक्ति अपनी भूमि को बेचता है, या किसी व्यक्ति को दान करता है. तो उस व्यक्ति के नाम पर कानूनी नियम के अनुसार ही भूमि का नामांतरण किया जाता है. यह नियम राज्य के अनुसार अलग अलग हो सकता है, लेकिन कुछ राज्यों में लगभग सामन्य ही होता है.
अगर आप भी किसी जमीन का नामांतरण करा रहे है और आपको भूमि नामांतरण के नियम के बारे में जानकारी नही है, तो पहले कुछ आवश्यक जानकारी को प्राप्त करे, अन्यथा आगे चल कर समस्याए आ जाता है. इसलिए आपके सुविधा के लिए इस पोस्ट में भूमि नामांतरण के नियम के बारे में जानकारी को उपलब्ध किया गया है. जिसके मदद से भूमि नामांतरण के नियम जान सकते है.
भूमि नामांतरण के नियम क्या है
जमीन नामांतरण करने के लिए कुछ नियम बनाये गये है. हालॉकि हर वर्ष राजस्व विभाग द्वारा कुछ नियमों में फेर बदल किया जाता है ताकि नियम के अनुसार जमीन का नामांतरण किया जा सके, नए नियम इस प्रकार है.
- सभी वारिसों के आधार पर जमीन का नामांतरण
- वारिस के द्वारा अपना हक त्याग करने पर नामांतरण
- वसीयत के आधार पर भी नामांतरण किया जा सकता है.
- अगर जमीन किसी अन्य को व्यक्ति बेची जा रही है तो जमीन का पंजीकृत विक्रय के आधार पर नामांतरण किया जाता है.
- अगर जमीन किसी व्यक्ति को दान में दी जा रही हो, तो पंजीकृत दान पत्र के आधार पर नामांतरण किया जा सकता है.
- वारिस के नाबालिक से बालिक होने पर नामांतरण किया जा सकता है.
- किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति उसके वारिसों में बंटती है, तो भूमि के हिस्सेदारों के नाम पर नामांतरण किया जाता है.
- जब कोई व्यक्ति अपनी भूमि दान करता है तो दान पाने वाले व्यक्ति के नाम पर भी नामांतरण किया जाता है.
- भूमि का नामान्तरण 35 से 45 दिनों के अंदर पूरा कर लेना चाहिए.
भूमि नामांतरण करने के लिए आवश्यक दस्तावेज
मध्यप्रदेश में अगर आप जमीन नामांतरण कराना चाहते है, तो आपके पास कुछ आवश्यक दस्तावेज होना अत्यंत आवश्यक है. जो इस प्रकार है:
- खसरा नंबर
- खाता नंबर
- भूमि का अधिकार प्रमाण पत्र
- जमीन मालिक के मृत्यु हो गई है, तो मृत्यु प्रमाण पत्र
- भूमि दान में मिला हो तो, दान पत्र
- भूमि मालिक का आधार कार्ड
- मूल खतौनी
- बिक्री समझौता
- प्लॉट का नक्शा
- पिछले नामांतरण के दस्तावेज (यदि कोई हो)
- पैन कार्ड
- मतदाता पहचान पत्र
- आवश्यक स्टांप पेपर खरीदना होता है.
- शपथ पत्र
- सहमति पत्र
भूमि का नामांतरण कैसे होता है
भूमि के नामांतरण करने की प्रकिया निचे दिया गया है, जिसेक मदद से भूमि की नामांतरण करा सकते है.
- भूमि के नामांतरण हेतु आवेदन के लिए तहसील कार्यालय में जाएं.
- आवश्यक डाक्यूमेंट्स जैसे मूल वसीयत और उसकी पंजीकृत प्रति, मृतक का मृत्यु प्रमाण पत्र, दस्तावेजों के साथ लगाए.
- कार्यालय में लगने वाले सभी शुल्क का भुगतान करे. तथा आवेदन जमा कर उसका रसीद प्राप्त करे.
- कार्यालय द्वारा आपकी दस्तावेजों की जांच की जाएगी और यदि सब कुछ ठीक पाया जाता है, तो संपत्ति का मूल्यांकन होगा. इस स्थिति में आपको स्टाम्प शुल्क और अन्य शुल्क का भुगतान करना होगा.
- इसके बाद भूमि नामांतरण कर दिया जाएगा, और आपको संपत्ति का मालिकाना हक आपके नाम पर कर आपको नामांतरण पेपर दे दिया जाएगा.
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न: FAQs
भूमि रजिस्ट्री कराने के बाद नामांतरण कराने के लिए राजस्व विभाग में जाना पड़ता है और आवेदन करने के लिए संबंधित तहसीलदार के पास रजिस्ट्रीकर्ता आवेदन फॉर्म जमा करता है. इसके बाद नामांतरण की प्रकिया शुरू की जाति है.
भूमि का नामांतरण रजिस्ट्री के बाद 15 दिन में हो जाता है. यदि जमीन की रजिस्ट्री को लेकर किसी को कोई आपत्ति नहीं हो तो. अन्यथा अधिक समय भी लग सकता है.
नामांतरण और दाखिल खारिज में कोई अंतर नही होता है, बोलचाल की भाषा में संपत्ति के नामांतरण को दाखिल-खारिज भी कहते हैं. और यह रजिस्ट्री के बाद दाखिल खारिज करना बेहद जरुरी होता है.
भूमि का नामांतरण करने में भूमि के सरकरी रेट के 5.5% रेजिस्ट्रेशन चार्ज और 1% निगम सीमा शुल्क लगता है.
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