भारत में प्रॉपर्टी के बटवारे का अधिकारिक नियम निर्धारित किया गया है, जिसके अनुसार दादा, परदादा, पिता की जमीन की बटवारा किया जाता है. ज्यादातर पिता के जमीन के ही बारे में चर्चा होती है. वही यदि किसी महिला या माँ की संपत्ति पर अधिकार की बात की जाए, तो इसके बारे में ज्यादातर लोगो को पता नही होता है कि माँ की प्रॉपर्टी पर किसका अधिकार है.
हालाँकि कानूनी प्रक्रिया के तहत सभी प्रकार के प्रॉपर्टी पर हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम लागू होता है, जिसके अनुसार यदि वसीयत नही है, तो माँ के प्रॉपर्टी पर पिता, पुत्र और पुत्री का ही अधिकार होता है. लेकिन यदि महिला को प्रॉपर्टी अपने माता, पिता, द्वारा या पैतृक संपत्ति में मिलता है, तो इसका नियम अलग होता है. इस पोस्ट में माँ की संपत्ति में किसका का अधिकार है के विषय में सभी कानूनी नियम के बारे विस्तार से चर्चा करेंगे.
माँ की प्रॉपर्टी पर किसका अधिकार है?
भारतीय कानून के अनुसार माँ के प्रॉपर्टी पर पिता, पुत्र, पुत्री और अन्य महत्वपूर्ण परिवार के सदस्यों (कोर्ट द्वारा निर्धारित सदस्य) का एक सामान अधिकार होता है.
ध्यान दे, भारतीय कानून के नियम अनुसार यदि महिला अपने जीवन में अपने संघर्ष से किसी प्रकार की प्रॉपर्टी (जैसे घर, ज़मीन आदि) अर्जित करती है या उसे अपने माता-पिता और पति से प्रॉपर्टी मिलती है, तो उस महिला के बेटा या बेटी उस इस तरह प्रॉपर्टी पर किसी भी प्रकार का दावा नहीं कर सकते हैं. क्योंकि, प्रॉपर्टी केवल उसे मिला हुआ है.
हालाँकि माँ अपने इच्छा से प्रॉपर्टी को किसी को भी दे सकती है, जो कानूनी रूप से सही है. यदि महिला मृत्यु बिना वसीयत बनाए ही हो जाती है, तो हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत माँ के बच्चे (बेटे और बेटी) और अन्य सदस्य प्रॉपर्टी के अधिकारी होंगे. ध्यान दे, शादीशुदा बेटी का भी अपनी मां की संपत्ति पर उतना ही अधिकार है, जितना बेटे का होता है.
कानूनी रूप से माँ के संपत्ति पर किसका अधिकार है?
- सामान्य रूप से एक महिला के संपत्ति के मालिक उसके बच्चे होते है.
- यदि माँ की मृत्यु हो गई है, तो उनके बच्चे (बीटा या बेटी) संपत्ति का उत्तराधिकारी होंगे.
- यदि किसी महिला का विवाह नही हुआ है, तो उनके पिता, भाई, बहन एवं अन्य महत्वपूर्ण सदस्य संपत्ति का हिस्सेदार होंगे.
- यदि माँ की कोई संतान नही है, तो मृत्यु के बाद कानूनी रूप से उत्तराधिकारी पिता और माता, पिता के वारिस, आदि वारिस होंगे.
माँ की संपत्ति में बेटी का अधिकार
भारतीय कानून के अनुसार माँ के संपत्ति में बेटी को सामान अधिकार मिलता है. बेटी विवाहित हो या अविवाहित, इसके कोई फर्क नही पड़ता है. क्योंकि, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के अनुसार, माँ की संपत्ति पर बेटी का भी सामान अधिकार होगा.
Note: यदि माँ की कोई संतान नहीं है, तो उसकी संपत्ति उसके माता-पिता, भाई-बहनों और अन्य रिश्तेदारों (कोर्ट द्वारा निर्धारित रिश्तेदार) के बीच विभाजित किया जाएगा.
यदि किसी कारण बस बेटी के अधिकार पर कोई समस्या हो रही हो, तो इस स्थिति में कोर्ट के माध्यम से अधिकार प्राप्त किया जा सकता है. क्योंकि, बेटी के अधिकार के लिए विशेष प्रावधान उपलब्ध है, जो उन्हें न्याय दिलाने में मदद करता है. वैसे कोर्ट द्वारा ही मां की संपत्ति में विवाहित बेटी शेयर भी एक सामान कर दिया गया है.
माँ की संपत्ति में बेटे का अधिकार
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के अनुसार बेटा का भी अधिकार एक सामान होता है. ध्यान दे, यदि माँ अपने संगर्ष से प्रॉपर्टी अर्जित करती है, तो उस पर बेटा या बेटी किसी भी प्रकार के दावा नही कर सकते है.
यदि माँ अपने इच्छा प्रॉपर्टी के वसीयत में बेटे को उत्तराधिकारी बनाती है, तो उसका अधिकार सुनिश्चित रहेगा. और यदि बिना बसियत के माँ की मृत्यु होती है, तो सभी संतानों में प्रॉपर्टी को सामान रूप से विभाजित किया जाएगा.
मां की मृत्यु के बाद संपत्ति का मालिक कौन है
पूर्ण रूप से माँ की संपत्ति पर किसी का भी अधिकार नही होता है. क्योंकि, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के तहर माँ के बच्चे, रिश, पति, पिता आदि का सामान अधिकारिक होता है. वही यदि माँ द्वारा वसीयत बनाया गया है, तो उस वसीयत के अनुसार संपत्ति का अधिकार प्रदान किया जाएगा.
और यदि किसी अविवाहित महिला की मृत्यु बिना वसीयत बनाए हो गई है, तो उसकी प्रॉपर्टी का अधिकार उसके पिता को मिलेगी. ध्यान दे, यदि उनके जीवित है, तो प्रॉपर्टी का अधिकार उनके पास रहेगा. लेकिन यदि उनकी मृत्यु हो गयी है, तो प्रॉपर्टी का विभाजन महिला के माँ, भाई-बहन आदि में सामान रूप से होगा.
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माँ की संपत्ति पर अधिकार से जुड़े प्रश्न FAQs
यदि माँ के नाम पर संपत्ति है, तो वह वसीयत के माध्यम से अपने बेटे को संपत्ति दे सकती है. और यदि बिना बसियत बनाए माँ की मृत्यु हो जाती है, तो बच्चो में एक सामान संपत्ति दिया जाएगा.
माँ की संपत्ति पर पिता, बेटा, बेटी का सामान अधिकार होता है. और यदि महिला का कोई संतान नही है, तो पति और माता-पिता का अधिकार होता है.
माँ की मृत्यु के बाद संपत्ति का मालिकाना हक पिता, बेटा और बेटी को एक सामान मिलता है. और यदि माँ की मृत्यु बिना वसीयत होता है, तो विरासत अधिनियम 1956 के तहत संपत्ति का मालिक, पिता, बच्चे एवं महत्वपूर्ण सदस्य होते है.
हाँ, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 में वर्ष 2005 में संसोधन कर माँ की संपत्ति में बेटी का अधिकार एक सामान कर दिया गया है. अर्थात, माँ की प्रॉपर्टी में जितना अधिकार बीटा है, उतना ही अधिकार बेटी का भी है.