मृत्यु के बाद वसीयत की वैधता: जाने क्या कहता है वसियत की वैधता नियम

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पैतृक संपत्ति को भाइयों, बहनों तथा कानूनी तौर पर वारिस के बीच अधिकारिक रूप से बांटा जा जाता है. वसीयत लिखने वाले व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी प्रापटी और व्यवसाय का उत्तराधिकारी पुत्र, पुत्री या भाई-बहन होते है. अगर व्यक्ति ने वसीयतनामा कराया है तो व्यक्ति कभी भी वसीयतनामा दुसरे के नाम कर सकते है. वसीयत एक क़ानूनी दस्तावेज होता है जो परिवार के मुखिया द्वारा पुत्र व पुत्री को समान हिस्से में दिया जाता है.

परिवार के मुखिया द्वारा लिखित वसीयत उसके मृत्यु के बाद भी संपूर्ण तरीकों से वैध मनी जाती है. वसीयत की वैधता की कोई समय सीमा नहीं होती है. यह जन्मशीद्ध आधिकार के तहत चलती रहती है. एक बार वसीयत लिखित हो जाती है, तो वसीयतकर्ता उस संपत्ति का स्वामी होता है. मृत्यु के बाद वसियत की वैधता के विवरण में सभी जानकारी दी गई है. इस आर्टिकल को फॉलो कर मृत्यु के बाद वसीयत की वैधता की पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते है.

मृत्यु के बाद वसियत की वैधता कितनी होती है?

मृत्यु के बाद वसीयत की वैधता सभी नियम और क़ानूनी तौर पर पूर्ण मानी जाती है जैसे किसी भी प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री दाखिल ख़ारिज आधिकार के लिए जितना वैल्यूएबल होती है उसी के समान मृत्यु के बाद भी लिखित वसीयतनामा की वैल्यू होती है.

वसीयत में लिखित संपूर्ण तरीकों के नियम और सर्तों से विशेष व्यक्ति के नाम वसीयत लिखित रहता है तो मृत्यु के बाद भी वसियत की वैधता स्व प्रॉपर्टी जितना अधिकार रहता है.

वसीयत लिखने का नियम क्या है.

1. विशेषाधिकार युक्त: 2. विशेषाधिकार युक्त वसीयत: यह दो प्रकार की वसीयत होती है, जिसको लिखने के लिए संपत्ति सम्बंधित सभी प्रक्रिया को लिखित रूप से कोरे कागज पर विवरण किया जाता है. कुछ महत्वपूर्ण बातों को वसीयत में लिखना जिससे वसीयत क़ानूनी तौर पर मजबूत व् समझने योग्य हो, जिसको लिखने की प्रक्रिया निचे बताई गई है.

  • सबसे पहले स्वतंत्र इच्छा का सत्यापन: इसमे उन सभी महत्वपूर्ण बातों का धयान रखा जाता है की किसी के दबाव व् जोर जबरदस्ती किसी प्रकार की कोई समस्या के विवरण के बारे में वरण करना है यह स्वइच्छा से लिखा जाता है.
  • संपत्ति विवरण: संपत्ति सम्बंधित कुल जर/जमीन जैसे जमीन, भूखंड, दुकान आदि का स्थान व संख्या तथा मात्रा का विवरण लिखे। चल सम्पति जैसे: बीमा, बैंक जमा, म्यूचुअल फंड, पॉलिसी आदि  का वरण किया जाता है.
  • व्यक्ति विवरण जानकारियाँ: वसीयतकर्ता स्वयम का नाम व् पिता का नाम और घर स्थान का नाम, जिला तहसील, पंचायत, जन्मतिथि, वसीयत की तारीख सभी का विवरण.
  • संपत्ति लेने वाले का नाम: वसीयत में संपत्ति जिसके नाम किया जा रहा है उतराधिकारी का नाम दर्ज करें.
  • उपयोक्त प्रक्रिया को करने के बाद वसीयत पर हस्ताक्षर प्रक्रिया को पूर्ण करें.
  • सभी प्रक्रिया को करने के बाद दो गवाहों का हस्ताक्षर कराएँ पिता सही घर स्थान का विवरण डलवायें.

वसीयत का पंजीकरण कैसे करें?

वसीयत को एक कोरे कागज पर परिवार के मुखिया व् वसीयतकर्ता के द्वारा अपने निजी भाषा में लिखा जाता है. किसी प्रकार की कोई समस्या उत्पन्न न हो. इसके लिए रजिस्टर ऑफिस में रजिस्ट्री भी करा सकते है. लेकिन इसके लिए दो गवाहों की आव्श्यकता होती है

तहसील कार्यालय हर पंचायत राज जिला के तहत रजिस्टर्ड करवाने के बाद वसीयत एक शक्तिशाली कानूनी प्रमाण बन जाता है.

वसीयत कितनी सुरक्षित होती है?

वसीयतकर्ता का नाम या उसके एजेंट का नाम लिखा हुआ वसीयत का सीलबंद लिफाफा सुरक्षा के लिए किसी भी संपत्ति रजिस्ट्रार सुरक्षा के लिए रखा जा सकता है वसीयत दस्तावेज को अपनी इच्छा के अनुसार विखंडित व् अविखंडित कर सकता है.

कोई व्यक्ति समय अनुसार विवोह कर लेता है तो वसीयत अपने आप विखंडित हो जाती है स्वयम इच्छा के बिना विखंडन क़ानूनी प्रक्रिया द्वारा किया जा सकता है. जीवित व्यक्ति अपने जीवन काल में जितनी बार चाहे वसीयत बदल सकता है. लेकिन व्यक्ति का मृत्यु किसी समय हो जाता है तो उसके द्वारा लिखी गई आखरी वसीयत ही मान्य होती है जो क़ानूनी तौर पर सुरक्षित प्रक्रिया है.

वसीयत से क्या लाभ मिलती है

  • वसीयत करने से किसी प्रकार की कोई समस्या उत्पन्न नहीं होती है.
  • वसीयत स्वयम मालिक होने का आधिकार प्रदान करता है.
  • वसीयत क़ानूनी प्रमाण पत्र होता है, जो प्रोपटी पर पूर्ण आधिकार प्रदान करता है.
  • वसीयत आपके नाम रजिस्ट्री है तो आप इसे स्वइच्छा से बेंच भी सकते है.
  • स्वयं इच्छा से वसीयत द्वारा संपत्ति पर कोई कार्य कर सकते है.
  • ध्यान दे, जब तक वसीयत को चुनौती न दी जाए. तब तक विसियत की वैधता बनी रहती है.

सम्बंधित प्रश्न:

मृत्यु के बाद वसीयत की वैधता सम्बंधित प्रश्न: FAQs.

Q. पिता के मृत्यु के बाद संपत्ति का मालिक कौन होता है?

पिता के मृत्यु के बाद संपत्ति का मालिक उसके पुत्र व पुत्री होते है. अगर किसी कारण वस् पुत्र/ पुत्री नहीं है, तो संपत्ति के स्वामी के रिश्तेदार व सगे सम्बन्धी संपत्ति का मालिक हो सकते है, जो क़ानूनी तरीकों से मान्य है.

Q. पिता पैतृक संपत्ति की वसीयत कर सकते है?

हाँ, पिता पैतृक संपत्ति की वसीयत कर सकते है. पिता अपने पुत्र व पुत्री के नाम लिखित वसीयत तैयार कर सकते है. जिसमे पिता मानसिक रूप से मुक्त और स्वस्थ होना चाहिए. तभी क़ानूनी नियम के तहत वसीयत मान्य होगा.

Q. मृत्यु के बाद वसीयत की वैधता क्या होती है?

पिता के द्वारा संपत्ति की वसीयत की जाती है, तो लिखित वसीयत में संपूर्ण अधिकार प्रॉपर्टी जितना मिलता है. मृत्यु के बाद भी वसीयत की वैधता की समय और सीमा निश्चित नहीं होती है.

Q. वसीयत जरुरी क्यूँ होता है?

वसीयत लिखित रूप से पिता द्वारा तैयार किया जाता है और वसीयतकर्ता के विवरण में पुत्र व पुत्री को संपत्ति, समान अधिकार में बाटा जाता है. वसीयत नामकरण इसीलिए जरुरी होता है, क्यूँकि वसीयत लिखित होने के बाद रजिस्ट्री की हुए जमीन के बराबर वैल्यू होता है.

Q. पिता की मृत्यु के बाद क़ानूनी वारिश कौन होता है?

पिता की मृत्यु के बाद संपत्ति का क़ानूनी वारिश उसके विधवा पत्नी व पुत्र पुत्री होते है, जो प्रथम उतराधिकारी होते है. अगर पिता की माता-पिता जीवित है, तो पहले उनका हिस्सा समान होगा, जो क़ानूनी आधिकार है.

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