यदि किसी व्यक्ति ने कोई अपराध किया है और अपने घर से फरार हो गया है, जिसके कारण न्यायालय द्वारा आरोपी साबित कर दिया गया है. और वह व्यक्ति न्यायालय के आदेश के बाद भी वह आरोपी न्यायालय में उपस्थित नहीं होता है, तो CRPC सेक्शन 82 के तहत उसे न्यायलय द्वारा फरार घोषित किया जाता है. और सेक्शन 83 के अनुसार उसके संपत्ति या घर पर कुर्की करने के लिए न्यायालय द्वारा नोटिस जारी किया जाता है.
लेकिन उस व्यक्ति की संपत्ति उसके नाम पर नही है, उसके पिता या भाई के नाम पर है तो, कुर्की होनी चाहिए या नही. इसके बारे में अधिकांश लोगो को जानकारी नही है. इसलिए इस पोस्ट में पिता या भाई की संपत्ति की कुर्की नहीं होनी चाहिए या नही के बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध किया है
कुर्की वारंट क्या होता है
कुर्की वारंट एक कानूनी प्रकिया होता है, जो न्यायालय द्वारा किसी व्यक्ति की संपत्ति को ज़ब्त करने के लिए जारी किया जाता है. यह वारंट तब जारी किया जाता है जब कोई व्यक्ति अपराध किया है, जिसके कारण न्यायालय द्वारा आरोपी साबित कर दिया गया है और वह व्यक्ति घर छोड़ कर फरार हो गया हो.
इसके बाद न्यायालय एक नोटिस जारी करता है. और वह व्यक्ति न्यायालय के आदेश के बाद भी वह आरोपी न्यायालय में उपस्थित नहीं होता है, तो कुर्की वारंट के तहत उसकी संपत्ति को जप्त कर लिया जाता है. ज़ब्त की गई संपत्ति को बेचा जा सकता है. और बकाया राशि का भुगतान करने के लिए उपयोग किया जा सकता है.
फरार व्यक्ति के पिता या भाई की संपत्ति की कुर्की नहीं होनी चाहिए
यदि संपत्ति अपराधी व्यक्ति की नही है, वह संपत्ति पिता या भाई की है, तो वह संपत्ति की कुर्की नहीं होनी चाहिए. क्योकि, भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 83 के तहत यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि किसी अपराधी की संपत्ति को ज़ब्त करने के लिए, कुर्की वारंट जारी किया जाता है, इसके लिए यह ज़रूरी है कि वह संपत्ति अपराधी की ही हो.
पिता या भाई की संपत्ति को अपराधी की संपत्ति नहीं माना जाता है. इसलिए पिता या भाई की संपत्ति की कुर्की नही होनी चाहिए. यदि संपत्ति अपराधी व्यक्ति की है तो वह संपत्ति की कुर्की होती है.
कुर्की के नियम क्या होता है
- कुर्की के नियम विभिन्न कानूनों और नियमों के द्वारा निर्धारित किए जाते हैं, जो विभिन्न परिस्थितियों और अधिकार क्षेत्रों में लागू होते हैं.
- कुर्की न्यायालय के आदेश, सरकारी वारंट, या अन्य कानूनी प्राधिकरण द्वारा ही की जा सकती है.
- कोई भी अधिकारी या पुलिस बिना न्यायालय के आज्ञा के किसी भी आरोपी व्यक्ति की संपत्ति को कुर्की नहीं कर सकता है. न ही उसके संपत्ति को नुकसान पहुचा सकता है.
- कुर्की ज़ब्त करते समय अधिकारी द्वारा संपत्ति की पहचान, ज़ब्ती, और सूची बनाना अनिवार्य है.
- अपराधियों को जुर्माना और क्षतिपूर्ति का भुगतान करने के लिए उनकी संपत्ति ज़ब्त की जा सकती है.
- कुर्की के बाद भी फरार व्यक्ती न्यायलय में उपस्थित नही होता है, या न्यायलय के आदेश का पालन नहीं कर रहा है, तो न्यायालय उसकी कुर्की की संपत्ति राज्य सरकार के अधिकार में देती है.
कुर्की वारंट से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बातें:
- कुर्की वारंट के माध्यम से केवल उसी संपत्ति को ज़ब्त कर सकता है जो ऋणी या संपत्ति अपराधी की है.
- कुर्की वारंट के तहत ज़ब्त की गई संपत्ति को बेचने से पहले ऋणी या अपराधी को संपत्ति को वापस खरीदने का अवसर दिया जाता है.
- कुर्की वारंट के खिलाफ न्यायालय में अपील की जा सकती है.
- यदि आप पर कुर्की वारंट जारी किया गया है, तो तुरंत एक वकील से संपर्क करें.
शरांश: कोर्ट जिस संपत्ति की कुर्की करेगा वह संपत्ति फरार व्यक्ती की होनी चाहिए. अगर सरकार द्वारा संपत्ति कुर्क की जाती है, तो इस कुर्की पर 6 महीने के अंदर कोई व्यक्ती उसके हिस्से का दावा करता है, तो संबंधित सबूतों को देखकर कोर्ट उस व्यक्ती के पक्ष में फैसला देती है. इस सम्बन्ध में हमने पूरी जानकारी प्रदान की है उम्मीद करता हूँ आपको पसंद आया होगा.
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अक्सर पूछे जाने वाल प्रश्न FAQs
यदि संपत्ति पिता की है या भाई की संपत्ति है तो वेसे संपत्ति की कुर्की नही की जाती है. क्योकि, भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 83 के तहत यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अपराधी व्यक्ति की ही संपत्ति को कुर्की जाब्त किया जा सकता है.
कुर्की वारंट एक प्रकार की नोटिस होती है. जो यह सुचना जारी करता है की ऋणदाता को आपके बकाया पैसे की वसूली के लिए है.
यदि कोई व्यक्ति अपराध किया है. और न्यायालय के आदेश का पालन नही करता है और वह आरोपी न्यायालय में उपस्थित नहीं होता है. जिसके कारण न्यायालय द्वारा कुर्की नोटिस जारी करता है. जिसक दौरान घर की कुरी होती है.