किसी भी पैतृक जमीन को बेचने के लिए कनूनी उतराधिकारी से मंजूरी आवश्यक है. पैतृक संपत्ति को बेचने के लिए संपत्ति से जुड़ी सभी दस्तावेजों को सम्मलित कर जाँच करें की पैतृक संपत्ति का मालिक एक या इससे अधिक है. अगर ऐसा होता है की पैतृक संपत्ति का मालिक एक से अधिक है, तो संपत्ति बेचने के लिए सभी की मंजूरी लेना आवश्यक है.
संपत्ति को बेचने के लिए उसका मूल्यांकन करवाना होता है. बाज़ार मूल्य के साथ-साथ उसकी वर्तमान स्तिथि व समान्य संपत्ति के आस पास विशलेषण करने की आवश्यकता होती है. पैतृक संपत्ति में हिस्से का अधिकार जन्म के समय ही मिल जाता है. अगर परिवार वसीयत के नियम अनुसार आपको पैतृक संपत्ति प्रमाण पत्र तहसील कार्यालय से प्राप्त है, तो पैतृक संपत्ति को बेचने का संपूर्ण हक़ आपके पास होता है.
पैतृक संपत्ति के लिए लागू आधिनियम
पैतृक संपत्ति के लिए विभिन्न धर्मों के व्यक्ति के लिए अलग-अलग आधिनियम हैं.
- ईसाई धर्म: > भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम
- हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध: > हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956
- इस्लाम: > शरीयत-मुस्लिम पर्सनल लॉ
पैतृक संपत्ति बेचने का नियम क्या हैं?
- हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 2005 में संशोधन से पहले बेटियों को पैतृक संपत्ति का हिस्सा नहीं दिया जाता था. परिवार के सदस्य में सिर्फ पुरुषों को पैतृक संपत्ति का हिस्सा मिलाता था.
- लेकिन 2005 के बाद बेटियों को भी हिस्सा देने का प्रावधान अधिनियम चलाया गया. जिसमे परिवार के मुख्य सदस्य द्वारा सभी भाई बहनों में पैतृक संपत्ति को सामान भागो में बाटा जाता है.
- पैतृक संपत्ति समान हिस्सों में बटने के बाद तहसील कार्यालय द्वारा उस हिस्से का स्वामी प्रमाण पत्र दिया जाता है. जिसमे आपका पूरा पूरा हक़ होता है जिसको आप बेंच भी सकते है और अपने निजी कार्य के लिए भी उपयोग कर सकते है.
- पहली चार पीढ़ियों में पैदा हुए बेटे और बेटियों दोनों का पैतृक संपत्ति पर समान अधिकार होता है. इसीलिए सामूहिक परिवार में संपत्ति नहीं बेचा जा सकता है.
- इसके लिए पैतृक संपत्ति को सामान आधिकार में बटने के बाद ही पैतृक संपत्ति को बेचा जा सकता है.
- अगर पैतृक संपत्ति पिता के नाम है, तो आप अपने हिस्से का आधिकारित संपत्ति को क़ानूनी नियम के तहत बेंच सकते है.
- कोई भी पैतृक संपत्ति बेचीं जा सकती है बशर्तें उसके पास संपत्ति बेचने का पूर्ण आधिकार होना चाहिए. जिसका उपयोग व्यक्ति बेचना, बांटना, संभालना या उसका उपयोग किसी भी कार्य के लिए कर सकता है.
Note: यदि पैतृक संपत्ति अविभाजित है अर्थात संपत्ति का विभाजन नही हुआ है, तो पिता बाकी उत्तराधिकारियों की सहमति के बिना पैतृक संपत्ति नहीं बेच सकते है. ध्यान दे, यदि किसी के दो बेटे हैं और उसे अपने पिता से पैतृक संपत्ति विरासत में मिली है, तो संपत्ति बेचने के लिए परिवार के सभी सदस्यों का सहमती होना अनिवार्य है.
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पैतृक संपत्ति बेचने से जुड़े प्रश्न: FAQs.
पैतृक संपत्ति बिना विभाजन किये सामूहिक परिवार में नहीं बेचा जा सकता क्यूँकि पैतृक संपत्ति पर परिवार का सामान हक़ होता है.
हाँ पैतृक संपत्ति को बेंचा जा सकता है लेकिन पैतृक संपत्ति का पूर्ण रूप से स्वामी होना जरुरी होता है.
यदि पैतृक संपत्ति अविभाजित है तो पिता अपनी पैतृक संपत्ति को बाकी उत्तराधिकारियों की सहमति के बिना नहीं बेच सकता है.
पैतृक संपत्ति पूर्वजों के उतराधिकारी के सहमत्ति से ही बेंची जा सकती है.
अगर पैतृक संपत्ति का दाखिल ख़ारिज नहीं होता है तो समान्य 25 पेनाल्टी लगती है लेकिन आगे समय अनुसार संपत्ति की बिक्री की जाती है तो दाखिल ख़ारिज के बिना संपत्ति नहीं बेंची जा सकती है.
पैतृक संपत्ति को बेचने के लिए निम्न नियम उपलब्ध हैं, जैसे;
• पैतृक कर्ज चुकाने के लिए
• परिवार के सदस्यों के भरण-पोषण के लिए
• संपत्ति पर चल रहे मुकदमे के खर्चे के लिए
• परिवार के मुखिया के खिलाफ गंभीर आपराधिक मुकदम में उसके बचाव के लिए
इसके अलावे पैतृक संपत्ति बेचने हेतु कानूनी सलाह लेना आवश्यक है.
शरांश: पैतृक संपत्ति एक ऐसी संपत्ति होती है जो बाप दादाओं से विरासत में मिली संपत्ति होती है. जिसमे पुत्र व पुत्री का सामान आधिकार होता है. पैतृक संपत्ति को कोई भी व्यक्ति बिना पारिवारिक या एक दुसरे के सहमत्ति के बिना नहीं बेंच सकता है. कभी भी पैतृक संपत्ति को बेचने के लिए पैतृक संपत्ति में बराबर के भागेदार का सहमत्ति होना आवश्यक है.